गर्भपात महापाप

गर्भपात महापाप


परम श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुखदासजी महाराज

जैसे ब्रह्महत्या महापाप है ऐसे गर्भपात भी महापाप है। शास्त्र में तो गर्भपात को ब्रह्महत्या से भी दुगुना पाप बताया गया है।

यत्पापं ब्रह्महत्याया द्विगुणं गर्भपातने।

प्रायश्चित्तं न तस्यास्ति तस्यास्त्यागो विधीयते।।

(पाराशरस्मृतिः 4.20)

ʹब्रह्महत्या से जो पाप लगता है, उससे दुगुना पाप गर्भपात करने से लगता है। इस गर्भपातरूपी महापाप का कोई प्रायश्चित नहीं है। इसमें तो उस स्त्री का त्याग कर देने का ही विधान है।ʹ

गर्भस्राव (सफाई), गर्भपात और भ्रूणहत्या इन तीनों को किसी भी तरह से करने पर महापाप लगता है।

एक कहावत है कि अपने द्वारा लगाया हुआ विषवृक्ष भी काटा नहीं जाता। विषवृक्षोपि संवर्ध्य स्वयं छेत्तुमसाम्प्रतम्। जिस गर्भ को स्त्री-पुरुष मिलकर पैदा करते हैं, स्वयं ही उसकी हत्या कर देना कितना महान पाप है !

गर्भ में आया हुआ जीव जन्म लेने के बाद न जाने कितने अच्छे-अच्छे लौकिक और पारमार्थिक कार्य करता, समाज व देश की सेवा करता, संत-महापुरुष बनकर अनेक लोगों को सन्मार्ग में लगाता, अपना तथा औरों का कल्याण करता, परन्तु जन्म लेने से पहले ही उसकी हत्या कर देना कितना महान पाप है।

मनुष्यों में हिन्दू जाति सर्वश्रेष्ठ है। उसमें बड़े विलक्षण ऋषि-मुनि, संत, महात्मा, दार्शनिक, वैज्ञानिक, विचारक पैदा होते आये हैं। जब इस जाति के मनुष्यों को जन्म ही नहीं लेने देंगे तो फिर ऐसे श्रेष्ठ विलक्षण पुरुष विधर्मियों के यहाँ पैदा होंगे।

जैसे, अब तक हिन्दुओं के यहाँ लगभग बारह करोड़ शिशुओं का जन्म रोका गया है। अतः वे बारह करोड़ शिशु विधर्मियों के यहाँ जन्म लेंगे तो विधर्मियों की संख्या हिन्दुओं की संख्या से 24 करोड़ बढ़ जायेगी। क्योंकि जिन व्यक्तियों ने संततिनिरोध किया है, उनके आगे होने वाली कई संतानों का भी स्वतः निरोध हुआ है। अगर प्रत्येक व्यक्ति की दो या तीन संतानों का भी निरोध माना जाय तो यह संख्या चौबीस या छत्तीस करोड़ तक पहुँच जाती है। विधर्मियों की संख्या बढ़ेगी तो फिर वे हिन्दुओं का ही नाश करेंगे। अतः हिन्दुओं को अपनी संतान-परम्परा नष्ट नहीं करनी चाहिए।

मुसलमान भाई तो कहते हैं कि संतान होना खुदा का विधान है। उसको बदलने का अधिकार मनुष्य को नहीं है। जो उसको विधान को बदलते हैं वे अनाधिकार चेष्टा करते हैं। परिवार नियोजन करने वालों की संख्या कम हो जाती है। अतः मुसलमानों ने यह सोचा कि परिवार नियोजन नहीं करेंगे तो अपनी जनसंख्या बढ़ेगी और जनसंख्या बढ़ने से अपना ही राज्य हो जायेगा क्योंकि वोटों का जमाना है। इसीलिए वे केवल अपनी संख्या बढ़ाने की धुन में हैं। परंतु हिन्दू केवल अपनी थोड़ी सी सुख सुविधा के लिए नसबन्दी, गर्भपात आदि महापाप करने में लगे हुए हैं। अपनी संख्या तेजी से कम हो रही है-इस तरफ भी उनकी दृष्टि नहीं है और परलोक में इस महापाप का भयंकर दण्ड भोगना पड़ेगा-इस तरफ भी उनकी दृष्टि नहीं है। केवल खाने-पीने, सुख भोगने की तरफ तो पशुओं की भी दृष्टि रहती है। अगर यही दृष्टि मनुष्य की भी है तो यह मनुष्यता नहीं है।

लोग गर्भ-परीक्षण करवाते हैं और गर्भ में कन्या हो तो गर्भपात करवा देते हैं। क्या यह नारी जाति को समान अधिकार देना हुआ ? क्या यह उसका सम्मान करना हुआ ?

समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा के बीस वर्ष के बाद लड़कों को कुँवारा रहना पड़ेगा क्योंकि मादा भ्रूणहत्या से लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ कम उत्पन्न हुई हैं। वर्ष 1993-94 में ग्रामीण क्षेत्रों में 6233 लड़कियाँ पैदा हुईं जबकि 10862 लड़के जन्मे। 1994-95 में 11186 लड़कों की तुलना में 8234 लड़कियाँ ही जन्मीं।

पुलिस द्वारा हरियाणा के रोहतक जिले में किये गये अध्ययन के मुताबिक वर्ष 1993-94 में 100 लड़कों के पीछे 66 लड़कियों का जन्म हुआ। इस प्रकार केवल दो तिहाई लड़के ही परिणय-सूत्र में बँध पायेंगे। शेष को कुँआरा रहने की पीड़ा भोगनी पड़ेगी।

परिवार नियोजन के कार्यक्रम से जीवन-निर्वाह के साधनों में तो वृद्धि नहीं हुई है, पर ऐसी अनेक बुराइयों की वृद्धि अवश्य हुई है जिनसे समाज का घोर पतन हुआ है।

पहले जनसंख्या कम थी तो विदेशों से अन्न मँगवाना पड़ता था, अब जनसंख्या बढ़ी तो हम निर्यात कर रहे हैं। अतः जहाँ वृक्ष अधिक होते हैं वहाँ वर्षा अधिक होती है तो क्या मनुष्य अधिक होंगे तो अन्न अधिक नहीं होगा ?

नसबन्दी के द्वारा पुरुषत्व का अवरोध करने से, नाश करने से शारीरिक शक्ति भी नष्ट होती है और उत्साह, निर्भयता आदि मानसिक शक्ति भी नष्ट होती है।

जो नसबन्दी के द्वारा अपना पुरुषत्व नष्ट कर देते हैं, वे नपुंसक (हिजड़े) हैं। उनके द्वारा पितरों को पिण्ड-पानी नहीं मिलता। ऐसे पुरुष को देखना भी अशुभ माना गया है।

जिन माताओं ने नसबन्दी ऑपरेशन करवाया है उनमें से बहुतों को लाल एवं श्वेत प्रदर हो गया है। ऑपरेशन करवाने से शरीर में कमजोरी आ जाती है, उठते-बैठते समय आँखों के आगे अँधेरा छा जाता है, छाती व पीठ में दर्द होने लगता है और काम करने की हिम्मत नहीं होती।

जो स्त्रियाँ नसबन्दी ऑपरेशन करा लेती हैं उनका स्त्रीत्व अर्थात् गर्भ-धारण करने की शक्ति नष्ट हो जाती है। ऐसी स्त्रियों का दर्शन भी अशुभ है, अपशकुन है।

नसबन्दी-ऑपरेशन करना व्यभिचार को खुला अवसर देना है, जो बड़ा भारी पाप है। पशुओं की बलि देने, वध करने को ʹअभिचारʹ कहते हैं। उससे भी जो विशेष अभिचार होता है उसे ʹव्यभिचारʹ (वि+अभिचार) कहते हैं।

परिवार-नियोजन के दुष्परिणाम भुगतने के बाद अनेक देशों ने संतति-निरोध पर प्रतिबन्ध लगा दिया और जनसंख्या वृद्धि के उपाय लागू कर दिये। जर्मनी की सरकार ने संतति-निरोध के उपायों के प्रचार एवं प्रसार पर रोक लगा दी और विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए विवाह-ऋण देने शुरु कर दिये। सन् 1935 में एक कानून बनाया गया, जिसके अनुसार एक बच्चा पैदा होने पर इन्कम टैक्स में 15 प्रतिशत छूट, दो बच्चे होने पर 35 प्रतिशत, तीन पर 55 प्रतिशत, चार पर 75 प्रतिशत, पाँच पर 95 प्रतिशत और छः बच्चे होने पर इन्कम टैक्स माफ कर देने की बात कही गयी। इससे वहाँ की जनसंख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई।

फ्रांस, इंग्लैण्ड, इटली, स्वीडन आदि देशों ने भी संतति निरोध पर प्रतिबन्ध लगाया। इटली में तो यहाँ तक कानून बना दिया गया कि संतति निरोध का प्रचार एवं प्रसार करने वाले को एक वर्ष की कैद तथा जुर्माना किया जा सकता है। आश्चर्य की बात है कि परिवार-नियोजन के जिन दुष्परिणामों को पश्चिमी देश भुगत चुके हैं, उनको देखने के बाद भी भारत सरकार इस कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है। विनाशकाले विपरीतबुद्धि।

विभिन्न समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी

गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमान करने वाली महिलाओं को स्तन का कैंसर होने का खतरा है।

(इम्पीरियल कैंसर अनुसंधान-लंदन)

1 जनवरी 1996 से बालिका (भ्रूणहत्या) गर्भपात पर प्रतिबंध लग चुका है। सरकार प्रसव पूर्व निदान तकनीकी (विनियमन एवं दुरुपयोग रोक) अधिनियम 1994 बालिका भ्रूण का गर्भपात कराने के लिए अमिनोसिन्थेसिस, अल्ट्रासोनोग्राफी जैसी आधुनिक निदान तकनीकियों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देती।

भारत जनगणना आयुक्त की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 1981 से 1991 के बीच देश की मुस्लिम आबादी 2 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा बढ़ी। देश में मुस्लिम समुदाय की आबादी अन्य प्रमुख धार्मिक समुदायों की आबादी की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 1981-91 के बीच इसमें 32.76 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि इस दौरान जनसंख्या-वृद्धि का राष्ट्रीय औसत 23.79 प्रतिशत रहा।ट

(राजस्थान पत्रिका दिनांकः 8-11-1995)

गर्भपात कराने वाली लड़कियों में से एक तिहाई लड़कियाँ ऐसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं कि फिर कभी वे संतान पैदा नहीं कर सकतीं।

(टोरंटो, कनाडा के 70 वाले अनुसंधान के अनुसार)

विश्व में प्रतिवर्ष होने वाले पाँच करोड़ गर्भपातों में से करीब आधे गैरकानूनी होते हैं, जिनमें करीब 2 लाख स्त्रियाँ प्रतिवर्ष मर जाती हैं और करीब 60 से 80 लाख पूरी उम्र के लिये रोगों की शिकार हो जाती हैं। हिन्दुस्तान में अनुमानतः करीब 5 लाख औरतें प्रतिवर्ष गैरकानूनी गर्भपातों द्वारा उत्पन्न हुई समस्याओं से मरती हैं।

(हिन्दुस्तान टाइम्स दिनांकः 15-7-1990)

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार गैरकानूनी एवं असुरक्षित ढंग से कराये जाने वाले गर्भपात से लाखों महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। जो बचती है, उन्हें जीवन भर गहरी मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है। साथ ही, लंबे समय तक संक्रमण, दर्द तथा बाँझपन जैसी जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

स्त्रियाँ गर्भपात के बाद पूरे जीवन पीड़ा पाती हैं। उनका शरीर रोगों का म्यूजियम बन जाता है। एक तिहाई स्त्रियाँ तो ऐसी बीमारी का शिकार बनती हैं कि फिर वे कभी संतान पैदा कर ही नहीं सकतीं।

गर्भपात कराने वाली स्त्रियों में से 30 प्रतिशत स्त्रियों को मासिक की कठिनाइयाँ हो जाती हैं।

शास्त्रों में जगह-जगह गर्भपात को महापाप बताया है। कहा है कि गर्भहत्या करने वाले का देखा हुआ अन्न न खायें। (मनुस्मृतिः 4.208)

लिंग परीक्षण करवाने से अपने आप गर्भपात होने व समयपूर्व-प्रसव होने की आशंका बढ़ जाती है, तथा कूल्हों के खिसकने एवं श्वास की बीमारी की भी संभावना रहती है। बार-बार अल्ट्रासाउंड कराने से शिशु के वजन पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

(देहली मिड डे दिनांकः 17-12-1993)

विश्व में एक मिनट में एक औरत यानी एक साल में 5,25,600 औरतें गर्भावस्था से जुड़ी बीमारियों से मरती हैं।

असुरक्षित तरीके से गर्भपात कराने से प्रतिवर्ष 70000 महिलाओं की मृत्यु होती है।

गर्भपात निरीह जीव की हत्या है, महान पाप है, ब्रह्महत्या और गौहत्या से भी बड़ा पाप है। देश के साथ गद्दारी है। नियम लें और लिवायें कि गर्भपात नहीं करवायेंगे।

स्वामी रामसुखदासजी महाराज

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 1997, पृष्ठ संख्या 25,26,27

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One thought on “गर्भपात महापाप

  1. Agar गर्भ me bacche ke physically aur mentally growth nahi ho rahe hain toh abortion karvana
    Paap hain kya?

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