‘इन्टरनेशनल स्पिरिच्युल ऑर्गेनाइजेशन’ द्वारा दिल्ली में धरना

‘इन्टरनेशनल स्पिरिच्युल ऑर्गेनाइजेशन’ द्वारा दिल्ली में धरना


चार वर्ष पूर्व यू. के. में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘इन्टरनेशनल स्पिरिच्युल ऑर्गेनाइजेशन’ (आई.एस.ओ.) की यू.के. के अलावा यू.एस., सिंगापुर, कुवैत, दुबई आदि अनेक देशों के साथ भारत में भी शाखाएँ हैं। आई.एस.ओ., सिर्फ एक धर्म के लिए कार्य नहीं करता बल्कि यह कहीं भी लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा हेतु खड़ा होता रहा है। डेन्मार्क के एक अखबार के द्वारा मोहम्मद पैगम्बर का कार्टून छापे जाने पर आई.एस.ओ. (यू.के.) ने अखबार को लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए माफी माँगने की माँग की थी। परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू एवं उनके आश्रमों पर झूठे, बेबुनियाद एवं अत्यंत घृणित आरोप लगाकर उनके करोड़ों-करोड़ों साधकों भक्तों की आध्यात्मिक भावनाओं पर लम्बे समय से प्रहार किये जा रहे हैं। पूज्य बापू जी के करोड़ों भक्तों की आहत भावनाओं के रक्षण हेतु आई.एस.ओ. ने 14 दिसम्बर से जंतर-मंतर (दिल्ली) पर धरना शुरु किया तथा राजू चांडक के पूरे मामले की सी.बी.आई. जाँच एवं उसके नार्को टेस्ट की माँग की। साथ ही बापू जी के बारे में झूठी खबरें छापकर जनता को गुमराह करने वाले ‘संदेश’ अखबार पर कानूनी कार्यर्वाही की भी माँग की गयी। इस धरने में कुछ संस्कृतिप्रेमियों ने अनशन भी रखा था।

पूज्य बापू के खिलाफ चल रहे अनर्गल कुप्रचार से व्यथित अनेक मान्यवरों ने तथा हजारों की संख्या में अध्यात्म एवं संस्कृतिप्रेमी जनता ने इस आयोजन में भाग लिया।

धरने के चौथे दिन मुंबई के बजरंग दल सुरक्षा-प्रमुख श्री पारस राजपूत ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘संत आसारामजी बापू के विरुद्ध हो रहे षडयंत्र का राष्ट्रव्यापी विरोध होना चाहिए एवं इस कार्य के लिए आध्यात्मिक संस्थाओं व बुद्धिजीवियों को आगे आने की जरूरत है।’ इस मौके पर ‘हिन्दू रक्षक दल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी रूपेश्वरानंद ने बापू द्वारा की जा रही समाज-सेवा की सराहना करते हुए कहा कि ‘बापू के विरुद्ध किये जा रहे षडयंत्र से भारतीय संस्कृति को खतरा है।’ इस अवसर पर ‘विश्व हिन्दू परिषद’ के केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य कृष्णगिरि महाराज ने एवं ओरैया (उ.प्र.) के पुष्पेन्द्र कैलाश सहित अनेकों संतों एवं समाजसेवियों ने उपस्थित लोगों को मार्गदर्शन दिया।

धरने के पाँचवें दिन ‘मानव रक्षा संघ’ के अध्यक्ष अयोध्याप्रसाद त्रिपाठी  ने अपना समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने बापू जी को भारतीय संस्कृति का स्तम्भ बताया और बापू जी पर षडयंत्र संस्कृति पर षडयंत्र बताया। धरने के पाँचवे दिन भी वि.हि.प. के केन्द्रीय मार्गदर्शन मंडल के सदस्य कृष्णगिरिजी महाराज ने उपस्थिति दर्शायी।

धरने के छठे दिन ‘श्रीराम सेना’ के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष श्री सुनील त्यागी जी ने अपना पूरा समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि इस पूरे घटनाक्रम से वे बेहद आहत हैं।

धरने के सातवें दिन हरिद्वार से आये संत-समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामी ज्ञानेशानंदजी ने कहा कि ‘संतों का अपमान नहीं सहा जायेगा। संत समाजरूपी वृक्ष के मूल हैं और इस मूल को नष्ट करने से समाज भी टिक नहीं सकता। धरना करना संतों का स्वभाव नहीं है पर बापू पर लगाये जा रहे इल्जामों का विरोध करने हेतु सभी संत जंतर-मंतर पर भी उतर सकते हैं।’

लगातार दूसरे दिन उपस्थिति दर्शाते हुए आपने यह भी कहा कि ‘संदेश जैसे अखबार संतों के खिलाफ अनर्गल बातें छापकर पूरे मीडिया को बदनाम कर रहे हैं।’

‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के राष्ट्रीय प्रचारक डॉ. सुमन कुमार भी धरने में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि मैं बापू पर लगाये जा रहे झूठे आरोपों के बहुत मर्माहत हूँ। मैं किसी के बुलाने पर यहाँ नहीं आया हूँ, मेरी अन्तरात्मा ने मुझे प्रेरित किया एवं मेरे कर्तृत्व की याद दिलायी इसलिए मैं यहाँ धरने में शामिल हुआ हूँ।’

धरने के नौवें दिन संत-समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामी श्री कमलेशानंदजी महाराज ने कहा कि ‘पूरा संत-समाज बापू के लिए अपने प्राणों को त्यागने से पीछे नहीं हटेगा।’

धरने के दसवें दिन हरिद्वार के जूना अखाड़ा के मंडलेश्वर स्वामी श्री केशवानंद गिरिजी अपने अखाड़े के 35 संतों के साथ जंतर-मंतर पर उतर आये। इसके अलावा देश के अन्य प्रांतों से आये अखाड़ों के प्रतिनिधिमंडल भी बापू के समर्थन में दिल्ली पधारे। हैदराबाद से आये श्री शैलेन्द्रजी ने कहा कि ‘संतों को धरने पर उतरना पड़े, इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता।’

रीवा से आयी साध्वी सरस्वती देवी ने उपस्थित लोगों से धर्म की रक्षा के लिए आगे आने का संकल्प कराया।

धरने के ग्यारहवें दिन हरिद्वार, वृन्दावन, ऋषिकेश, दिल्ली आदि विभिन्न स्थानों से आये संतों ने बड़ी संख्या में धरने में भाग लिया। उन्होंने चेतावनी दी की पूज्य आसारामजी बापू के विरूद्ध कुप्रचार को बंद नहीं किया गया तो वे सारे विश्व में व्यापक आंदोलन चलायेंगे।

धरने के तेरहवें दिन पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं म.प्र. की पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती धरना-स्थल पर पधारीं एवं उन्होंने बापू पर लगाये गये आरोपों को निराधार बताया।

धरने के चौदहवें दिन प्रतिपक्ष के मुख्य सचेतक विधायक श्री साहिबसिंह चौहान और विधायक श्री मतीन अहमद ने धरना स्थल पर आकरक आश्रम के खिलाफ किये जा रहे षडयंत्रों की निंदा की।

धरने के पंद्रहवें दिन वि.हि.प. दिल्ली के संयोजक श्री विजय खुराना ने कहा कि ‘हिन्दुओं को संगठित होने की जरूरत है। बापू हिन्दुओं के मानबिन्दु हैं। उन पर ऐसे आरोप हिन्दुओं की आस्था पर चोट हैं।’

धरने के सोलहवें दिन वृन्दावन से आये महामंडलेश्वर आचार्य 1008 स्वामी श्री परमात्मानंदजी महाराज ने भूख हड़ताल पर बैठे लोगों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि उनका संकल्प रंग लायेगा।

मुसलिम समुदाय भी धरने के समर्थन में उतरा। रोहिणी मस्जिद के इमाम मौलवी हातीफ कासिम ने कहा कि ‘बापू पर इल्जाम सभी सूफी फकीरों की तौहीन है और यह इल्जाम नाजायज है।’ ‘राष्ट्रीय मुसलिम मंच’ के सदस्य मोहम्मद इरफान सलमानी ने कहा कि ‘सूफी संत अल्लाह का नूर हैं, बापू ऐसे ही सूफी हैं। ऐसे सूफी के बारे में कोई खराब बोलता है तो हमें तकलीफ होती है। बापू एक रास्ता दिखा रहे हैं और उस पर चलकर बहुत से परिवार चैन-सुकून से जी रहे हैं।’

धरने के सत्रहवें दिन मुसलिम समुदाय के साथ सिख समुदाय भी बापू जी के समर्थन में खुलकर सामने आ गये। श्री गुरुसिंह सभा गुरुद्वारे के प्रधान सरदार श्री सुच्चा सिंहजी ने कहा कि ‘हमारे गुरुओं ने हिन्दू संस्कृति की रक्षा में बलिदान दिया है। संतों पर झूठे इल्जाम नहीं सहे जायेंगे और किसी भी झूठे आरोप पर लगाम लगाने के लिए हम उतरेंगे।’ जत्थेदार सरदार कृपाल सिंह जी भी धरना-स्थल पर उपस्थित रहे।

वि.हि.प., दिल्ली के संगठन मंत्री श्री करूण प्रकाश जी एवं महामंत्री श्री सत्येन्द्र मोहनजी भी धरने के समर्थन में उतरे।

धरने के अठारहवें दिन वि.हि.प. के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंघलजी स्वयं पधाकर अनशन एवं धरने का समापन करना चाहते थे परन्तु शारीरिक अस्वस्थता के कारण चाहते थे परन्तु शारीरिक अस्वस्थता के कारण आपने वि.हि.प. के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंघलजी को भेजा तथा स्वयं फोन द्वारा भूख हड़ताल एवं धरने पर बैठे सज्जनों को उनकी माँगों के लिए संघर्ष करने का विश्वास दिलाकर उनसे अपना तोड़ने तथा धरने को समाप्त करने की अपील की।

सिंघलजी के आश्वासन से आश्वस्त होकर एवं आपकी अपील का सम्मान करते हुए दिनांक 31 दिसम्बर को धरने का समापन किया गया।

इस धरने में हरिद्वार के आचार्य स्वामी श्री अशोकानंदजी महाराज भी अन्न त्यागकर भूख हड़ताल में शामिल हुए थे। अधिकृत रूप से चार तथा अनधिकृत रूप से पंद्रह से अधिक लोगों ने अनशन रखा था। इस धरने में दिल्ली के अलावा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश आदि विभिन्न राज्यों से आये हजारों लोगों ने भाग लिया। धरना-समापन के अवसर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह-मंत्रालय एवं सूचना-प्रसारण मंत्रालय को आई.एस.ओ. के द्वारा ज्ञापन दिया गया।

स्रोतः ऋषि प्रसाद जनवरी 2010, पृष्ठ संख्या 2-4

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