गाय की उपयोगिता

गाय की उपयोगिता


गाय मानव जीवन के लिए परम उपयोगी है। गाय की महत्ता का वर्णन बहुत से शास्त्रों में मिलता है। अब वैज्ञानिकों ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया है। दूध के अतिरिक्त गाय से प्राप्त अन्य सब द्रव्य भी मानव-जीवन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।

गाय का घी

गाय का घी और चावल की आहुति डालने से महत्त्वपूर्ण गैसें जैसे – इथिलीन ऑक्साइड, प्रोपिलीन ऑक्साइड, फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं। इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाली जीवाणुरोधक गैस है, जो शल्य चिकित्सा कक्ष (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी है। वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षा का आधार मानते हैं।

आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनों में गाय के घी की दो-दो बूँदें डाले और रात को नाभि एवं पैर के तलुओं में गोघृत लगाकर लेट जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी।

गोघृत में मनुष्य शरीर में पहुँचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता है। अग्नि में गाय के घी की आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है, वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदूषण एवं आण्विक विकिरणों से मुक्त हो जाता है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक चम्मच गोघृत को अग्नि में डालने पर एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती है जो अन्य किसी भी उपाय से सम्भव नहीं है। (रूसी वैज्ञानिक शिरोविच)

गोमूत्र

गोमूत्र सभी रोगों के विशेषकर किडनी, लीवर, पेट के रोग, दमा व पीलिया के लिए रामबाण औषधि है। इसमें 24 प्रकार के रसायन जैसे पौटैशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम, फ्लोराइड, यूरिया, अमोनिया, लौह तत्त्व, ताम्र तत्त्व, सल्फर, लैक्टोज आदि पाये जाते हैं। 25 जून 2002 को भारत को गोमूत्र का पेटेंट मिला। आज सम्पूर्ण विश्व में एंटीकैंसर ड्रग तथा सर्वोत्तम एंटीबायोटिक एवं हानिरहित सर्वोत्तम कीटनाशक गोमूत्र है। इस महौषधि के समतुल्य कोई औषधि दुनिया में नहीं है।

गोमूत्र रक्त में बहने वाले दूषित कीटाणुओं को नष्ट करता है। (डॉ. सिमर्स, ब्रिटेन)

कुछ दिनों तक गोमूत्र के  सेवन से धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य होने से हृदयरोग दूर होता है। इसके सेवन से भूख बढ़ती है तथा पेशाब खुलकर होता है। यह पुराने गुर्दे रोग (किडनी फेल्युअर) की उत्तम औषधि है। (डॉ. काफोड हेमिल्टन (अमेरिका)

गाय का गोबर

गाय के गोबर में 16 प्रकार के खनिज तत्त्व होते हैं। जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, सोडियम, गंधक आदि। ʹअखिल भारतीय कृषि पुरस्कारʹ से पुरस्कृत श्री नारायण पाडरीपाडे ने नडेप खाद का आविष्कार करके सिद्ध किया है कि देशी गाय के एक क्विंटल गोबर से 30 क्विंटल जैविक खाद 4 महीने में बनायी जा सकती है। उसका मूल्य कम-से-कम 30000 रूपये होता है। यह गोबर आप उस बूढ़ी और अऩुपयोगी गाय से भी प्राप्त कर सकते हैं जो वर्ष में केवल 3000 रूपये का चारा खाती है।

12 वोल्ट की नयी बैटरी में गोमूत्र या गोबर भरकर ताँबा एवं जस्ता की प्लेटें डालकर उस सर्किट से विद्युत घड़ी, कम वोल्ट का बल्ब, ट्रांजिस्टर, टेप रिकॉर्डर एवं छोटा टीवी चलाने के प्रयोग में सफलता प्राप्त की जा चुकी है। (निहालचन्द्र तनेजा (जय श्रीकृष्ण प्रयोगशाला, ग्राम-सहार, कानपुर के पास)

गाय के ताजे गोबर से टी.बी. तथा मलेरिया के कीटाणु मर जाते हैं। (प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. जी.ई. बीगेड (इटली)

गाय के गोबर में हैजे के कीटाणुओं को मारने की अदभुत क्षमता है। (प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. किंग (चेन्नई)

अमेरिका के वैज्ञानिक जेम्स मार्टिन ने गाय के गोबर, खमीर और समुद्र के पानी को मिलाकर ऐसा उत्प्रेरक बनाया है जिसके प्रयोग से बंजर भूमि हरी-भरी हो जाती है एवं सूखे तेल के कुओं में दुबारा तेल आ जाता है।

शहरों से निकलने वाले कचरे पर गोबर के घोल को डालने से दुर्गन्ध पैदा नहीं होती एवं कचरा खाद के रूप में परिवर्तित हो जाता है। (डॉ. कांती सेन सर्राफ (मुंबई)

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2012, पृष्ठ संख्या 19,20 अंक 236

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