पल-पल सहारा मिलता है…

पल-पल सहारा मिलता है…


आज से 14-15 साल पहले मैंने टी.वी. पर पूज्य बापू जी का सत्संग सुना और उनके प्रत्यक्ष दर्शन की खूब इच्छा जागृत हो गयी। 1-2 साल बाद इत्तेफाक से बापू जी से मेरी मुलाकात जोधपुर हवाई जहाज में हो गयी, तब बापू जी ने मेरा नाम ʹआत्मसुधाʹ रख दिया। जब मैं बापू जी को पुकारती हूँ, बापू जी मेरी पुकार सुनकर मेरी समस्या दूर कर देते हैं। 7-8 वर्ष पूर्व मेरे पतिदेव को रीढ़ की हड्डी के पास टयूमर हो गया था। डॉक्टरों ने कहाः कि 99.99 प्रतिशत ये कैंसर के लक्षण हैं। मैंने बापू जी से प्रार्थना की तो बापू जी बोलेः “डॉक्टरों की बात एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देना। तेरे पति को कुछ नहीं होगा, मैं उन्हें अंदर से सँभालता हूँ और तुम बाहर से सँभाल करो।” मैं तो निश्चिंत हो गयी। जब रिपोर्ट आयी तो एम.डी. डॉक्टर हैरान रह गये कि टयूमर में सारे लक्षण कैंसर के दिख रहे थे लेकिन रिपोर्ट एकदम नार्मल ! यह सब बापू जी की कृपा का चमत्कार नहीं है तो और क्या है ?

आज से 4-5 माह पूर्व रात डेढ़-दो बजे मेरे पति की हृदयगति बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। डॉक्टर ने हार्ट-अटैक के लक्षण बताये और उन्हें आई.सी.यू. में भर्ती कर दिया। दूसरे दिन सीवुड (नवी मुंबई) में बापू जी का सत्संग था। मैं वहाँ पर गयी और बापू जी से प्रार्थना कीः “बापू जी ! मेरे पति को किसी भी प्रकार के ऑपरेशन या अनहोनी से बचा लीजिये।”

बापू जी बोलेः “कुछ नहीं होगा, सब ठीक हो जायेगा।”

अगले दिन डॉक्टर ने बताया किः “अब ऑपरेशन की जरूरत नहीं है।”

मुझे पल-पल बापू जी ने सहारा दिया है। सचमुच, बापू जी की कृपा नहीं होती तो मैं भी तनावपूर्ण जीवन जीने वाले निगुरे लोगों की तरह आत्महत्या या डिप्रेशन का शिकार हो गयी होती। हम सभी साधक सुख-शांति व आनंद में हैं क्योंकि बापू जी की कृपा सदैव हमारे ऊपर है। ऐसे कृपासिंधु पूज्य बापू जी के श्रीचरणों में बार-बार नमन !

आत्मसुधा, मुंबई

(आयात-निर्यात व इंटीरियर डेकोरेशन का व्यापार)

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2013, पृष्ठ संख्या 32, अंक 241

ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *