बापू जी को जेल क्यों ? – वरिष्ठ पत्रकार हबीब खान

बापू जी को जेल क्यों ? – वरिष्ठ पत्रकार हबीब खान


आज हर समाचार चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में सुबह से लेकर रात तक आशारामजी बापू के नाम का ही झुनझुना बजा रहा है। लेकिन देश की कई महत्त्वपूर्ण समस्याओं से संबंधित समाचारों का ‘ब्लैक आउट’ (बिल्कुल गायब किया जाना) आखिर क्यों ? बड़े-बड़े नेताओं को देश-विदेश के न्यायालयों द्वारा समन्स और नोटिस जारी होने की खबरें मीडिया से ब्लैक आउट क्यों रहीं ?

आशारामजी बापू की गिरफ्तारी कुछ और नहीं एक पूर्वनियोजित षडयन्त्र है। गिरफ्तारी के बाद आरोप लगाने वाले लड़की की सहेली का बयान पी-7 न्यूज चैनल पर दिखाया गया कि ‘मेरी सहेली का कहना है कि मेरे से जैसा बुलवाते हैं’, वैसा मैं बोलती हूँ। और लड़की की शिकायत के आधार पर दर्ज पुलिस एफ आई आर में बलात्कार का आरोप नहीं है। इस विषय में ‘इंडिया टीवी’ न्यूज चैनल पर दिखाया गया जोधपुर पुलिस कके डीसीपी अजय पाल लाम्बा का बयान है कि ‘एफ आई आर में बच्ची ने 376 (बलात्कार) का आरोप नहीं लगाया है। हम बार बार यह कह रहे हैं कि मेडिकल रिपोर्ट जो दिल्ली से आयी है उसमें भी किसी भी तरह से 376 के आरोप के पक्ष में कोई सबूत नहीं है।’ मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की पवित्र है, फिर भी बापू जी को जेल क्यों ? बापू जी के सेवादार शिवाभाई को बापू की फर्जी सेक्स सीडी की बात कबूलवाने के लिए तीसरी डिग्री के रिमांड का  इस्तेमाल करके पुलिस कका उन पर खूब दबाव देना, एक के बाद दूसरा आरोप लगना – क्या यह षडयन्त्र नहीं है ? आशारामजी बापू की गिरफ्तारी कुछ और नहीं, निशाना है 2014 की चुनावी रणनीति का कि ‘जनता के दिलो-दिमाग में साधु-संतों के विरूद्ध इतना जहर भर दो कि चुनावों में जनता साधु-संतों पर विश्वास न करे।’ आखिर मीडिया और सरकार केवल हिन्दुओं के ही विरुद्ध इतने बलशाली क्यों हो जाते हैं ? क्या अन्य धर्माचार्यों पर कोई आरोप नहीं लगते ? उनको गिरफ्तार करने की न सरकार में ताकत है और न ही मीडिया में उन पर चर्चा करने की हिम्मत।

मीडिया की आँखें तब भी नहीं खुलीं जब 7 सितम्बर 2013 को फर्जी सेक्स स्केंडल से बाइज्जत बरी होने वाली स्वामी नित्यानंद जी के संदर्भ में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ‘स्टार विजय’ और उसके उप चैनल को 7 दिनों तक हर एक घंटे के बाद माफीनामा चलाने का आदेश दिया था।

वास्तव में आशारामजी बापू के विरुद्ध न ही बलात्कार का मामला है और न ही किसी प्रकार के यौन-शोषण का। आशारामजी बापू एक सफल योजना के तहत विश्वव्यापी स्तर पर विरोध कर रहे थे हिन्दुओं के धर्मांतरण का। इसी प्रकार हिन्दुओं के श्रद्धेय शंकराचार्य को गिरफ्तार किया गया था, उन पर आरोप था खून का। शंकराचार्य जी भी धर्मांतरण का विरोध अपने स्तर पर कर रहे थे। उस समय भी मीडिया में अनर्गल बकवास, चर्चाएँ होती थीं लेकिन जब वे निर्दोष सिद्ध हुए तो किसी भी चैनल ने माफी  तक नहीं माँगी।

वास्तविकता यही है कि जो भी ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाये जा रहे धर्मांतरण में रूकावट बनेंगे, सरकार उन्हें जनता मे जलील करने का काम करती रहेगी और मीडिया कंधे-से-कंधा  मिलाकर हिन्दू-विरोधियों का साथ देता रहेगा

साध्वी प्रज्ञा सिंह और स्वामी असीमानंद को इतने वर्षों से जेलों में यातनाएँ दे रहे थे लेकिन आरोप आज तक  सिद्ध नहीं कर पाये। आतंकवादियों को उनकी पसंद का खाना परोसा जा रहा है और साध्वी प्रज्ञा के भोजन में अंडा मिलाकर उनकी सात्विकता  अपमानित करने कौन-सा कानून है, कौन सी राजनीति है ?

उन पत्रकारों को धन्यवाद है जो जनता की आँखें खोलने के लिए ऐसे पक्ष को भी जनता के सामने रखते हैं जो प्रायः अधिकांश मीडिया द्वारा ब्लैक आउट कर दिये जाते हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि जब 6 सितम्बर को एक न्यूज चैनल ने आशारामजी बापू के विषय पर चर्चा में एक वरिष्ठ पत्रकार को भी बुला लिया। मेहमान पत्रकार ने पूछा कि ‘फलाने नेता की सेक्स विडियो जब सभी चैनलों को भेजी गयी थी तो उसे दिखाने की क्या किसी की हिम्मत हुई ? तब कहाँ गयी थी तुम्हारी पत्रकारिता ? जब अन्य धर्मों में पनप रहे अपराधों की बात आती है तब क्यों नहीं खुलता तुम्हारा मुँह ?’

कहते हैं, ‘आशाराम बापू – बलात्कारी, स्वामी नित्यानंद – सेक्स स्केण्डल वाले, जयेन्द्र सरस्वतीजी – हत्यारे, साध्वी प्रज्ञा और स्वामी असीमानंद -आतंकवादी’ यानी जो साधु-संत धर्मांतरण और काले धन पर बोलेगा, इसी तरह अपमानित होता रहेगा।

आशारामजी बापू के खिलाफ साजिश की योजना का पर्दाफाश शीघ्रातिशीघ्र होना चाहिए और जनता से अपील की है कि वे सत्य उजागर करने वाले न्यूज चैनल जैसे ए2जेड’, सुदर्शन आदि ही देखें, जिससे बिकाऊ, देशद्रोही, भ्रष्ट मीडिया की टीआरपी बढ़ाने का अवसर न मिल सके।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2013, पृष्ठ संख्या 16,17, अंक 251

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