कानून के रखवाले ही कानून का मजाक क्यों बना रहे हैं ?

कानून के रखवाले ही कानून का मजाक क्यों बना रहे हैं ?


अहमदाबाद, 21 नवम्बर। कानून की रखवाली कही जाने वाली पुलिस ने बिना कोई सर्च वॉरेन्ट दिखाये ही अहमदाबाद आश्रम में छानबीन करके खुद कानून का उल्लंघन किया है। सुबह 6.15 बजे सूरत पुलिस की 8-10 गाड़ियाँ आश्रम में आयीं और आते ही पुलिस ने टेलिफोन कार्यालय से सबको बाहर निकाल दिया तथा शाम 5 बजे तक पुलिस का पहरा उस कार्यालय पर रहा। पूरे आश्रम-परिसर में पुलिसवाले तैनात कर दिये गये। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को आश्रम में प्रवेश करने तथा आश्रम के साधकों को बाहर जाने से रोक दिया गया। पुलिस अपने साथ असामाजिक तथा अपराधी प्रवृत्ति के अमृत प्रजापति व महेन्द्र चावला  भी लेकर आयी थी, जिन्होंने चेहरे पर कपड़ा बाँधा हुआ था।

डीसीपी शोभा भूतड़ा के साथ पुलिस की एक टीम अमृत प्रजापति व महेन्द्र चावला को लेकर आश्रम के सभी कमरों की तलाशी लेने लगी। जिन कमरों में ताले लगे थे और चाबी नहीं थी या लाने में देर हुई तो ग्रांइडर (कटर) से उन दरवाजों के तालों को तोड़ा गया। कमरों में जाँच के दौरान पुलिस ने आश्रम के सेवकों को नहीं जाने दिया। वहाँ से क्या सामान लिया, कौन-से कागजात उठाये यह किसी को नहीं बताया गया। ऐसे में पुलिस तो कुछ भी सामान रखकर सबूत बना सकती है ! एफएसएल की टीम दिन भर एकाउंट रूम में बैठी रही, कौन से पेपर लिये, क्या डाटा लिया, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गयी।

धार्मिक आस्था के स्थान जैसे मोक्ष कुटीर शांति कुटिया तथा व्यास  भवन आदि जहाँ पर भक्त लोग बड़े श्रद्धाभाव से आकर ध्यान भजन करते हैं, माथा टेकते हैं वहाँ पुलिस अमर्याद ढंग से जूते पहन के घुसी, जिससे भक्तों की भावनाओं को गहरी चोट पहुँची। सत्संग मंडप में सुबह की संध्या कर रहे लोगों को पूछताछ के नाम पर वहीं पर बिठा के रखा। सुबह 5 बजे से संध्या में बैठे लोगों को दोपहर तक उठने नहीं दिया गया। साधकों को पेशाब के लिए भी नहीं जाने दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता श्री बी. एम. गुप्ता को जब आश्रम बुलाया गया तो वे तुरन्त आश्रम पहुँचे और वहाँ पुलिस की कार्यवाही के बारे में साधकों ने उनसे बात की। पुलिस की इस गैर कानूनी कार्यवाही पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कीः “नियम कहता है कि रेड भी डालनी हो तो पहले मेजिस्ट्रेट या किसी ऑफिसर का सर्च वारंट होना चाहिए पर ये लोग सर्च वारेंट लिये बगैर आ गये। पुलिस जो भी यहाँ से माल बरामद करेगी उसकी सूची बनानी पड़ेगी, उसकी कॉपी आश्रम को देनी पड़ेगी और बरामद किये गये माल की सूची न्यायालय में पेश करनी पड़ती है और वहाँ से कानून  का ऑर्डर लेकर फिर ये उन वस्तुओं को ले जा सकते हैं। बाकी यह सब जो चल रहा है, वह हकीकत में गैर कानूनी है।”

इसके बाद तो पुलिस में खलबली मच गयी।  दोपहर में पुलिस की कई गाड़ियाँ आश्रम से बाहर गयीं और आयीं। फिर शाम को 7.15 बजे पुलिस द्वारा आश्रम व्यवस्थापक को एक प्रस्ताव दिया गया, जिसमें लिखा था कि ‘हमें अहमदाबाद आश्रम में नारायण साँईं तथा अन्य दो लोगों के छिपे होने की आशंका है इसलिए सर्च करना चाहते हैं।’ व्यवस्थापक द्वारा प्रस्ताव पर समय व दिनांक के साथ हस्ताक्षर किये गये। समय डालने पर पुलिस ने नाराजगी जतायी क्योंकि इससे उनकी गैर-कानूनी जाँच न्यायालय के सामने आ जायेगी। रात्रि 8-15 बजे पूरे 14 घंटे बाद पुलिस वापस गयी।

पुलिस 13 घंटे बाद आश्रम में आने का कारण बताती है। किसी भी धार्मिक संस्था में घुसकर कारण बताये बिना ही 11 घंटे तक टेलिफोन कार्यालय बंद कर दिया जाता है। दर्शन के लिए आश्रम में आने वाले भक्तों को 12 बजे तक आश्रम में प्रवेश नहीं दिया जाता है। क्या यह पुलिस ने नया कानून बनाया है ?

अमृत प्रजापति और महेन्द्र चावला, जिनका आश्रम के खिलाफ षड्यन्त्र रचने का आपराधिक रिकॉर्ड है और पिछले 3 महीनों से जो लगातार मीडिया में आकर आश्रम व बापू जी पर झूठे, मनगढ़ंत और घृणित आरोप लगा रहे हैं, उनको लेकर सूरत पुलिस ने आश्रम की तलाशी क्यों ली ? उन लोगों को यदि कानून के तहत लाया गया था तो फिर चेहरे पर कपड़ा क्यों बाँधे हुए थे ? तलाशी के दौरान सरकारी कैमरे द्वारा ली गयी विडियो क्लिप मीडिया को कैसे मिली ? इतना ही नहीं, पुलिस ने मौन मंदिर (पिरामिड के आकार का एक कमरा जो ध्यान भजन के लिए विशेष लाभदायी होता है) को गुप्त तहखाना बताया। जबकि वास्तविकता तो यह है कि आश्रम में ऐसा कोई तहखाना नहीं है। इस विषय में पहले ही सीआईडी द्वारा कई बार आश्रम की छानबीन करने के बाद आश्रम को क्लीन चिट दी गयी है। पुलिस ने देश की जनता को गुमराह क्यों किया ? इसमें गहरे षड्यंत्र की बू आ रही है।

विश्व-मांगल्य में रत पूज्य संतों के खिलाफ षड्यंत्र तथा उनके आश्रमों पर हो रहे अत्याचार आखिर कब समाप्त होंगे ? यह एक चर्चित सवाल है।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2013, पृष्ठ संख्या 27-28, अंक 252

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *