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बिना सत्य के 6 करोड़ अनुयायी सम्भव हैं ?


डॉ. सुरेश गुंजाल, सनातन हिन्दू जनजागृति समिति

बिना आरोप सिद्ध हुए बापू जी को इतने समय तक जेल में भेजा गया ! हमें मालूम है कि परम पूज्य बापू जी जिन्होंने करोड़ों लोगों के मन पर साधना के संस्कार डाले हैं, भटके हुए लोगों को सत्य के मार्ग पर, साधना के मार्ग पर  लाया है क्या वे इस  प्रकार का घृणित कार्य कर सकते हैं  ? कदापि नहीं। तो फिर क्यों बार-बार समाचार पत्रों में या टी.वी. चैनलों पर कुप्रचार किया जा रहा है।

मैं उन विपक्षी  लोगों से पूछना चाहता हूँ, जिन्होंने कभी साधना नहीं की बल्कि जो साधना करते हैं उनको भी साधना के मार्ग से अलग करने की कोशिश कर रहे हो, क्या तुम 200-400 लोगों की भी भीड़ जुटाकर अपने साथ लेकर इतने वर्षों तक चल सकते हो ? नहीं। परम पूज्य बापू जी 6  करोड़ साधकों को इतने वर्षों से साधना करा रहे हैं, क्या यह बगैर साधना के, बगैर संस्कार के, बगैर सत्य के सम्भव है  ?

दूसरा, बापू जी ने क्या कार्य किये ? बच्चों में मूल्य संवर्धन के लिए, नैतिक शिक्षा के लिए ‘बाल संस्कार केन्द्र’  चलवाये जा रहे हैं ताकि उनमें हमारी संस्कृति में जो बताये हुए साधना के धर्म के मूल्य हैं उनका संवर्धन हो। तो ऐसे मूल्यों का संवर्धन करने वालों से द्वेष क्यों ?

बापू जी ने धर्मांतरण वालों का विरोध करने के लिए हिन्दुओं को जागृत किया। यह भी संस्कृति विरोधी टी.वी. चैनलों या हिन्दू विद्वेषी शासकों को मान्य नहीं था, इसलिए यह षड्यंत्र एवं दुष्प्रचार चल रहा है।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2013, पृष्ठ संख्या 13, अंक  252

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सफलता की महाकुंजीः शिव संकल्प – पूज्य बापू जी


वेद कहता हैः जब भी आप संकल्प करो तो शिव-संकल्प करो। ‘अरे ! ये ऐसा बोलते हैं, वैसा बोलते हैं… क्या करें बचपन में ऐसा हो गया था, मेरी किसी ने सँभाल नहीं ली…. क्या करें, मैं पढ़ नहीं पाया, क्या करें, आजकल ऐसा हो गया है….।’ – यह नकारात्मक चिंतन जो है न, आपकी योग्यताओं को निगल जायेगा। फरियादवाला चिंतन न करो। अपने चिंतन की धारा ऊँची बनाओ – एक बात। दूसरी बात क्रिया से चिंतन ऊँचा है और चिंतन करते-करते चिंतन जहाँ से होता है उस परमात्मा में विश्रांति बड़ी ऊँची चीज है।

घर से जाओ खा के तो बाहर मिले पका के।

घर से जाओ भूखे तो बाहर मिले धक्के।।

तो आप अपने घर से अर्थात् परमात्मा से सुबह जब नींद से उठो तो थोड़ी देर शांत हो जाओ, निश्चिंत नारायण की प्रीति में विश्रांति पाओ। तन्मे मन शिवसंकल्पमस्तु। मेरा मन सदैव शुभ विचार ही किया करे।’ हमारे शिव संकल्प हों। समझो आप बिमार हो। तो ऐसा शिव-संकल्प करो कि ‘मेरा पड़ोसी स्वस्थ हो, मुझे गाली देनेवाला भी स्वस्थ हो। मैं बीमार हूँ यह कल्पना है। सब स्वस्थ रहो, स्वस्थ रहो….’ आप स्वास्थ्य बाँटो। वे स्वस्थ होंगे तब होंगे, आपका दूसरों के लिए शिव संकल्प आपको अभी स्वास्थ्य दे देगा।

‘मैं दुःखी हूँ, दुःखी हूँ। इसने दुःख दिया और इसको ठीक करूँ….’ तो वह ठीक हो चाहे न हो लेकिन तुम बेठीक हो जाओगे। जो फरियाद करते हैं, नकारात्मक सोचते हैं, दूसरों पर दोषारोपण करते हैं वे अपने लिए ही खाई खोदने का काम करते हैं।

पागल से भी गया बीता कौन ?

कोई आदमी अपने हाथ से शरीर के टुकड़े कर दे तो उसको आप क्या बोलोगे ? बोलेः ‘वह पागल है।’ पागल भी ऐसा नहीं कर सकता। करता है क्या पागल ? अपने शरीर के चिप्स बनाता है क्या ? पागल से भी वह गया बीता है। उससे भी ज्यादा वह व्यक्ति गया बीता है जो अपने जीवन को नकारात्मक विचारों से काट रहा है। शरीर के चिप्स करो, टुकड़े करो तो एक ही शरीर की बलि होगी, लेकिन अपने को नकारात्मक विचारों से जो काट रहा है, वह मरने के बाद भी न जाने कहाँ जाये….!

वास्तव में हम चैतन्य हैं और भगवान के हैं और भगवान हमारे परम हितैषी हैं, सुहृद हैं और जो कुछ हो गया अच्छा हुआ, जो कुछ हो रहा है अच्छा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा क्योंकि यह नियम हमारे सच्चे परमेश्वर की सरकार का है।

जो नकारात्मक व्यक्ति है वह घर में भी बेचैन रहेगा, पड़ोस में भी बेचैन रहेगा और किसी से बात करेगा तो  सामने वाला भी उससे ज्याददा देर बात करने में सहमत नहीं होगा परंतु जिसका विधेयात्मक जीवन है वह प्रसन्न रहेगा। तुमको अनुभव होता होगा कि कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जिनसे आप मिलते हो तो आपको लगता होगा कि ‘बला जाय, जान छूटे….’, “अच्छा ठीक है, ठीक है….” जान छुड़ाने में लगते हो। और कुछ ऐसे व्यक्ति हैं कि ‘अरे ! भइया, थोड़ा-सा और रुको न….’ तो जो प्रसन्न रहता है और विधेयात्मक विचारवाला है, वह हर क्षेत्र में प्यारा होता है और सफल होता है। ॐ ॐ प्रभु जी ॐ…..ॐ ॐ प्यारे जी ॐ…..

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2013, पृष्ठ संख्या 4, अंक 251

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‘राज्य महिला आयोग’ को नहीं मिली आशाराम जी बापू के खिलाफ कोई शिकायत


दैनिक जागरण, नई दिल्ली। ‘गुजरात  महिला आयोग’ की अध्यक्ष लीला बहन अंकोलिया के नेतृत्व में एक महिला पुलिस अफसर और जाँच दल ने आशारामजी बापू के मोटेरा (अहमदाबाद) स्थित  महिला आश्रम का दौरा किया। एसआईटी आयोग की टीम ने सभी महिलाओं से एक-एक करके अकेले में पूछताछ की और यह जानने की कोशिश की कि कहीं कोई महिला आशाराम बापू के द्वारा प्रताड़ित तो नहीं की गयी है। लेकिन आयोग को कोई भी शिकायत नहीं मिली।

उल्लेखनीय है कि आश्रम से निकाले गये कुछ गद्दारों ने अपनी गंदी जुबान से जो मनगढ़ंत, कल्पित कहानियाँ रचीं, उन्हें पुख्ता सबूतों के तौर पर पेश कर  मीडिया ने कई स्टोरियाँ रचीं और खुद भी मनगढ़ंत आरोप-पर-आरोप लगाये। लेकिन कहते हैं न कि ‘साँच को आँच नहीं। सत्यमेव जयते।’ गुजरात महिला आयोग की जाँच में जो सत्य सामने आया, उसने अनर्गल, झूठे आरोप लगाने वाले अमृत प्रजापति, महेन्द्र चावला तथा उन्हीं के आरोपों को दोहराने  वाले  मीडिया की पोल खोलकर रख दी है।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2013, पृष्ठ संख्या 17, अंक  251

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