स्वास्थ्यवर्धक चोकरयुक्त आटा

स्वास्थ्यवर्धक चोकरयुक्त आटा


प्रायः लोग खाना बनाते समय आटे को छानकर चोकर फेंक देते हैं लेकिन उन्हें यह पता नहीं कि चोकर फेंककर उन्होंने आटे के सारे रेशे (फाईबर्स) फेंक दिये हैं। चोकर स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। चोकर के संबंध में शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया है कि चोकर रक्त में इम्यूनो-ग्लोब्यूलीन्स की मात्रा बढ़ाता है, जिससे शरीर की रोगप्रतिकारक क्षमता बढ़ती है। इससे रोगप्रतिकारक शक्ति की कमी के कारण उत्पन्न होने वाले कई कष्टदायक रोग जैसे क्षय (टी.बी.) दमा आदि भी दूर रहते हैं।

चोकरयुक्त आटा खाने के लाभ

गेहूँ का चोकर कब्ज हटाने में रामबाण का काम करता है। इसके प्रयोग से आँतों में चिपका हुआ मल साफ होता है, गैस नहीं बनती, आँते सुरक्षित वे पेट मुलायम रहता है।

चोकर आमाशय के घावों को ठीक करता है।

रक्तवसा (कोलेस्ट्रॉल) को संतुलित करके हृदयरोग से भी रक्षा करता है।

आंत्रपुच्छशोथ (अपेंडिसाइटिस), अर्श(बवासीर) तथा भगंदर से बचाता है। बड़ी आँत एवं मलाशय कैंसर से भी रक्षा होती है।

मोटापा घटाने तथा मधुमेह निवारण में भी अचूक कार्य करता है।

अतः अति लाभकारी चोकरयुक्त आटे को ही प्रयोग करें, भूलकर भी इसे न फेंके।

सरल प्रयोग

भगवान धन्वन्तरि सुश्रुत जी से कहते हैं- “मनुष्य को सदा ‘हिताशी’ (हितकारी पदार्थों को ही खाने वाला), ‘मिताशी’ (परिमित भोजन करने वाला) तथा ‘जीर्णाशी’ होना चाहिए अर्थात् पहले खाये हुए अन्न का परिपाक हो जाने पर ही पुनः भोजन करना चाहिए।

बेल के पत्ते, धनिया व सौंफ को समान मात्रा में लेकर कूट लें। 10 से 20 ग्राम यह चूर्ण शाम को 100 ग्राम पानी में भिगो दें और सुबह पानी को छानकर पी जायें। इसी प्रकार सुबह भिगोकर शाम को पियें। इससे स्वप्नदोष कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा। यह प्रमेह एवं स्त्रियों के प्रदर में भी लाभदायक है।

घी तथा दूध से शिवलिंग को स्नान कराने से मनुष्य रोगहीन हो जाता है।

खाँडयुक्त दूध पीने वाला सौ वर्षों की आयु प्राप्त करता है।

दीर्घजीवी होने की इच्छावाले को सुबह खाली पेट 10 से 15 ग्राम त्रिफला घृत के साथ 5 से 10 ग्राम शहद का सेवन करना चाहिए।

आरोग्य के मूलभूत सिद्धान्त

मीठे से कफ उपजे, खट्टे रस से पित्त।

कटु उपजावे वात को, याद रखिये नित्त।।

खट्टा खारा औ मधुर, करे वायु का ह्रास।

कटुक कसैला चरपरा, कफ का करे विनाश।

कोप बढ़ावे वात को, तीखा, कड़वा, कषाय।

मधुर, शीत, लघु1 आदि से, पित्त शमन हो जाय।।

वात कोप गति बारिश में, पित्त शरद ऋतु माय।

कफ गति बढ़े बसंत में, कीजे शमन उपाय।।

  1. पचने में हलका

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2014, पृष्ठ संख्या 30, अंक 259

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