नया इतिहास हम बनायेंगे

नया इतिहास हम बनायेंगे


बात उस समय की है जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था। मेदिनीपुर (पं. बंगाल) में एक विशाल प्रदर्शनी लगी थी, जिसका उद्देश्य था अंग्रेजों द्वारा भारत के लोगों पर किये जा रहे अत्याचारों पर पर्दा डालना।
प्रदर्शनी में रखी वस्तुएँ, चित्र, कठपुतलियाँ ऐसी थीं जिससे लोगों को लगे कि गोरे शासक भारत को बहुत सहायता दे रहे हैं। प्रदर्शनी को देखने के लिए भारी भीड़ एकत्रित थी। उसी भीड़ में एक 16 वर्षीय नवयुवक दर्शकों को पर्चे बाँट रहा था। उस पर्चे में ‘वन्दे मातरम्’ का नारा था, साथ-ही-साथ प्रदर्शनी के आयोजक अंग्रेजों की असलियत भी दी गयी थी कि किस तरह से वे जनता को गुमराह कर रहे थे। उसमें अंग्रेजों द्वारा किये गये अन्याय व क्रूरता का उल्लेख था तथा उनके षड्यंत्रों की पोल खोलकर रख दी गयी थी।
दर्शकों में वहाँ कुछ लोग ऐसे भी थे जो अन्न तो भारत का खाते थे पर निष्ठा इंगलैण्ड के राजा के प्रति रखते थे। अंग्रेजों के अन्याय का विरोध करने वाले उस युवक का उन्होंने विरोध किया, उसे पर्चे बाँटने से रोका तथा डराया-धमकाया। फिर भी उनकी उपेक्षा कर नवयुवक ने शांति से पर्चे बाँटना जारी रखा। जब कुछ लोग उसे पकड़ने लगे तो वह चालाकी से भाग गया।
अंत में पुलिस के एक सिपाही ने उस लड़के का हाथ पकड़ा और उसके पर्चे छीन लिये परंतु उस लड़के को पकड़ना आसान नहीं था। उसने झटका देकर अपनी कलाई छुड़ा ली और पर्चे भी छीन के ले गया। जाते-जाते बोलाः “मैं देखूँगा कि बिना वारंट के पुलिस कैसे पकड़ती है ?”
पुलिसवाला पकड़े इससे पहले वह लड़का भीड़ में अदृश्य हो गया। जब लोग ‘वन्दे मातरम्’ के नारे लगाने लगे तो पुलिस और राजनिष्ठ लोगों को अपमानजनक प्रतीत हुआ।
बाद में उस लड़के के विरूद्ध मुकद्दमा चलाया गया लेकिन छोटी उम्र होने के कारण न्यायालय ने उसे मुक्त कर दिया।
उस प्रदर्शनी में जिस वीर लड़के ने बहादुरी के साथ पर्चे बाँटकर अंग्रेजों की बुरी योजनाओं पर पानी फेर दिया, वह था स्वतंत्रता-संग्राम का वीर सेनानी खुदीराम बोस ! उस युवा वीर ने अपने देश की जनता को सावधान करने के लिए, उनको जगाने के लिए जो क्रांतिकारी गतिविधियाँ कीं, उनसे अंग्रेज सरकार भी भयभीत हो गयी थी। मुट्ठीभर साहसी लोगों ने इतिहास बदल डाला है। आप भी कोई महान कार्य करने की ठान लो और प्राणपण से लग जाओ तो आप भी नया इतिहास बना सकते हो।
खुदीराम बोस जैसे देशभक्तों ने यह संदेश दिया है कि हमारी संस्कृति के खिलाफ जो षड्यंत्र चल रहे हैं, जो झूठ और अनर्गल बातें फैलायी जा रही हैं, उनसे जनता को बचाना, सत्य से अनजान लोगों को सच्चाई से अवगत कराना हर राष्ट्रनिष्ठ व्यक्ति का कर्तव्य है।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2015, पृष्ठ संख्या 25, अंक 274
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