भक्तों की अटूट श्रद्धा के पीछे क्या है राज ?

Rishi Prasad 269 May 2015

भक्तों की अटूट श्रद्धा के पीछे क्या है राज ?


पूज्य बापू जी के निर्दोष होने के बावजूद पिछले 20 महीनों से जोधपुर कारागृह में है। ऐसे में आँखों में गुरुदेव की एक झलक पाने की आस और हृदय में गुरुप्रेम का सागर लिये, अनेक प्रतिकूलताएँ सहते हुए भी घंटों इंतजार करते साधकों की दृढ़ श्रद्धा और अटूट निष्ठा को देखकर नास्तिक व्यक्ति भी सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि ‘आखिर इन भक्तों की श्रद्धा के पीछे क्या राज है ?’ गुरुदेव के सत्संग-सान्निध्य से भक्तों के जीवन में आये सकारात्मक परिवर्तनों को तो तटस्थ होकर कोई व्यक्ति थोड़ा समझ भी सकता है लेकिन भक्ति, ज्ञान और आनंद का जो खजाना भक्तों को मिला है, वह तो लाबयान है।

भक्तों को देखकर पूज्य श्री का भक्तवत्सल हृदय उमड़ रहता है, पूज्य श्री हाथ उठाकर भक्तों का प्रणाम स्वीकार करते हैं, आशीर्वाद देते हैं और उनके लिए संदेश भी देते हैं।

पूज्य बापू जी की मीडिया से हुई बातचीत के कुछ अंश
पत्रकार, “आपके अच्छे दिन कब तक आयेंगे ?”
पूज्यश्रीः “अच्छे दिन तो हमारे रोज ही हैं, सदा है। मेरा बुरा दिन कभी हुआ ही नहीं। समझ गये ?
पूरे हैं वे मर्द जो हर हाल में खुश हैं।
शरीर के गरम-नरम दिन आते रहते हैं। मेरे दिन कभी बुरे होते ही नहीं, जब से गुरुदीक्षा ली है।”
अवतरण दिवस के निमित्त संदेश
(6,7 व 8 अप्रैल 2015)

पत्रकारः “इस बार जन्मदिन पर किस तरह का कार्यक्रम करने की इच्छा है ?”
पूज्य श्रीः “अभी तो देशभर में नहीं, विश्वभर में गरीबों की सेवा कार्यक्रम जन्मदिवस के निमित्त चलता है, चलाते रहना। देर-सवेर मुलाकात हो जायेगी। 167 देशों में गरीबों की सेवा करना, हमारी चिंता नहीं करना। आप लोग भी खुश रहो, मीडिया वाले भी खुश रहें।”
पत्रकारः “बापू ! सफाई अभियान को ले के क्या कहना है ?”
पूज्य श्रीः “सफाई अभियान बहुत सुन्दर है। मैंने भक्तों को बोला है, सब जगह करेंगे। बाहर की भी सफाई हो, विचारों की भी सफाई हो। सहानुभूति, सज्जनता, सद्भाव का माहौल हो। 167 देशों में जन्मदिवस मनाने के निमित्त लोग सदाचार और भाईचारे का संदेश देते हैं। मैं शरीर का जन्मदिवस मनाना नहीं चाहता था लेकिन लोगों ने सेवाकार्य किया तो मैं सहमत हो गया।”
पत्रकारः “आप भी जेल में सफाई करेंगे क्या बापू ?”
पूज्य श्रीः “अरे, हम तो रोज सफाई करते हैं। जेल में ऐसे पेड़-पौधे लगाये हैं कि आने वाले, देखने वाले दंग रह जाते हैं। जेल में लगाये हैं, हॉस्पिटल की तरफ लगाये हैं। मैं सेवा के बिना रह नहीं सकता हूँ।”
पत्रकारः “बापू ! भक्तों को कोई संदेश जन्म दिन पर ?”
पूज्यश्रीः “हाँ, भक्तों को संदेश है, धीरज सबका मित्र है। जितना जुल्म सह गये महापुरुष उतना ही समाज ने उनको पहचाना। आद्य शंकराचार्य जी ने सहा, कबीर जी ने, महात्मा बुद्ध ने, विवेकानंद जी ने सहा… हमारे साथ भी हो रहा है। धीरज रखना। सबका भला हो।”

स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2015, पृष्ठ संख्या 11, अंक 269
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