सफलता हेतु आवश्यक शक्ति-उपासना

सफलता हेतु आवश्यक शक्ति-उपासना


 

जगत में शक्ति के बिना कोई काम सफल नही होता है | चाहे आपका सिद्धांत कितना भी अच्छा हो, आपके विचार कितने हि सुंदर और उच्च हों लेकिन अगर आप शक्तिहीन हैं तो आपके विचारो का कोई मूल्य नही होगा | विचार अच्छा है, सिद्धांत अच्छा है, इसलिए सर्वमान्य हो जाता है ऐसा नही है |

चुनाव में भी देखो तो हार-जीत होती रहती है | ऐसा नही है की यह आदमी अच्छा है इसलिए चुनाव में जीत गया और वह आदमी बुरा है इसलिए हार गया | आदमी अच्छा हो या बुरा, चुनाव में जीतने के लिए जिसने ज्यादा शक्ति लगायी वह जीत जायेगा | वास्तव में किसी भी विषय में जो ज्यादा शक्ति लगाता है वह जीतता है | वकील लोगों को भी पता होगा, कई बार ऐसा होता है कि मुवक्किल चाहे इमानदार हो चाहे बेईमान परन्तु जिस वकील के तर्क जोरदार-जानदार होते हैं वह मुकदमा जीत जाता है |

ऐसे ही जीवन में विचारो को, सिद्धांतो को प्रतिष्ठित करने के लिए बल चाहिए, शक्ति चाहिए |

जीवन में कदम-कदम पर कैसी-कैसी मुश्किलें, कैसी-कैसी समस्याएँ आती हैं ! उनसे लड़ने के लिए, उनका सामना करने के लिए भी शक्ति चाहिए और वह शक्ति आराधना-उपासना से मिलती है |

शक्ति की अधिष्ठात्री देवी है माँ जगदम्बा और उनकी उपासना का पर्व है नवरात्रि |
शस्त्रों में आता है :

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||

जो देवी समस्त प्राणियों में शक्तिरूप से स्थिति हैं उन माँ जगदम्बा को नमस्कार है, नमस्कार है, नमस्कार है |’

नवरात्रि को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है | इसमें पहले तीन दिन तमस को जीतने की आराधना के हैं | दुसरे तीन दिन रजस को और तीसरे दिन स्तव को जीतने की आराधना के हैं | आखरी दिन दशहरा है | वह सात्विक, रजस और तमस तीनों गुणों को जीत के जीव को माया के जाल से छुड़ाकर शिव से मिलाने का दिन है |

जिस दिन महामाया ब्रह्मविद्या महिषासुररुपी आसुरी वृतियों को मारकर जीव के ब्रह्मभाव को प्रकट करती हैं, उसी दिन जीव की विजय होती है इसलिए उसका नाम ‘विजयादशमी है | हज़ारों-लाखों जन्मों से जीव त्रिगुणमयी माया के चक्कर में फँसा था, आसुरी वृतियों के फँदे में पड़ा था | जब महामाया जगदम्बा की अर्चना-उपासना-आराधना की तब वह जीव विजेता हो गया | माया के चक्कर से, अविद्या के फँदे से मुक्त हो गया, वह ब्रह्म हो गया |

‘श्रीमददेवी भागवत’ शक्ति के उपासकों का मुख्य ग्रन्थ है | उसमें माँ जगदम्बा की महिमा का वर्णन है | उसमें आता है कि जगत में अन्य जीतने व्रत एवं विविध प्रकार के दान हैं वे नवरात्रि व्रत की तुलना कदापि नही कर सकते  क्योंकि  यह व्रत महासिद्धि देनेवाला, धन-धान्य प्रदान करनेवाला, सुख व सन्तान बढ़ानेवाला, आयु एवं आरोग्य वर्धक तथा स्वर्ग और मोक्ष तक देने में समर्थ है | यह व्रत शत्रुओं का दमन व बल की वृद्धि करनेवाला है | महान-से-महान पापी भी यदि नवरात्रि व्रत कर ले तो संपूर्ण पापों से उसका उद्धार हो जाता है |

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्रि पर्व होता है | यदि कोई पुरे नवरात्रि के उपवास-व्रत न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी – तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह संपूर्ण नवरात्रि के उपवास के फल को प्राप्त करता है |

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