शीतऋतु में बलसंवर्धन के उपाय

शीतऋतु में बलसंवर्धन के उपाय


शीत ऋतु 22 अक्तूबर 2016 से 17 फरवरी 2017 तक

शीत ऋतु के 4 माह बलसंवर्धन का काल है। इस ऋतु में सेवन किये हुए खाद्य पदार्थों से पूरे वर्ष के लिए शरीर की स्वास्थ्य-रक्षा एवं बल का भंडार एकत्र होता है। अतः पौष्टिक खुराक के साथ आश्रम के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध खजूर, सौभाग्य शुंठी पाक, अश्वगंधा पाक, बल्य रसायन, च्यवनप्राश, पुष्टि टेबलेट आदि बल व पुष्टि वर्धक पाक व औषधियों का उपयोग कर शरीर को हृष्ट-पुष्ट व बलवान बना सकते हैं।

साथ ही निम्नलिखित बातों को भी ध्यान में रखना जरूरी है-

पाचनशक्ति को अच्छा तथा पेट व दिमाग साफ रखनाः आहार-विचार अच्छा हो और अति करने की बुरी आदत न हो। जितना पच सके उतनी ही मात्रा में पौष्टिक पदार्थों का सेवन करें। एक गिलास पानी में दो चम्मच नींबू रस व एक चम्मच अदरक का रस डाल कर भोजन से आधा एक घंटे पहले पीने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है, भूख खुलकर लगती है। इसमें 1 चम्मच पुदीने का रस भी मिला सकते हैं। स्वाद के लिए थोड़ा सा पुराना गुड़ डाल सकते हैं। शक्तिहीनता पैदा करने वाले कर्मों (शक्ति से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम करना, अधिक भूख सहना, स्त्री सहवास आदि) से बचना जरूरी है। चाहे कितने भी पौष्टिक पदार्थ खायें लेकिन संयम न रखा जाय तो कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। प्रयत्नपूर्वक सत्संग व सत्शास्त्रों के ज्ञान का चिंतन-मनन करें तथा सत्कार्यों में व्यस्त रहें। इससे मन हीन व कामुक विचारों से मुक्त रहेगा, वीर्य का संचय होगा, शरीर मजबूत बनेगा जिससे हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।

आहार विहार में लापरवाही न करनाः अधिक उपवास करना, रूखा-सूखा आहार लेना आदि से बचें।

नियमित तेल मालिश व व्यायामः सूर्यस्नान, शुद्ध वायुसेवन हेतु भ्रमण, शरीर की तेल मालिश व योगासन आदि नियमित करें।

शीत ऋतु हेतु बलसंवर्धक प्रयोग

सिंघाड़े का आटा 20 ग्राम या गेहूँ का रवा (थोड़ा दरदरा आटा) 30 ग्राम लेकर उसमें 5 ग्राम क्रौंच चूर्ण मिला के घी में सेंके। फिर उसमें दूध मिश्री मिला के दो तीन उबाल आने के बाद लें। रोज प्रातः यह बलवर्धक प्रयोग करें।

250-500 मि.ली. दूध में 2.5-5 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा 125 मि.ली. पानी डालकर उबालें तथा पानी वाष्पीभूत हो जाने पर उतार लें। इसमें मिश्री डाल के प्रातःकाल पीने से दुबलापन दूर होता है और शरीर हृष्ट पुष्ट होता है। अगर  पचा सकें तो इसमें एक चम्मच शुद्ध घी डालना सोने पर सुहागा जैसा काम हो जायेगा।

तरबूज के बीजों की गिरी तथा समभाग मिश्री कूट पीसकर शीशी में भर लें। 10-10 ग्राम मिश्रण सुबह शाम चबा-चबाकर खायें। 3 महीने लगातार सेवन करने  पर शरीर पुष्ट, सुगठित, सुडौल और सशक्त बनता है।

50 ग्राम सिंघाड़े के आटे को शुद्ध घी में भूनकर हलवा बना के प्रतिदिन सुबह नाश्ते में 60 दिन तक सेवन करें। आधे-एक घंटे बाद गर्म पानी पियें।

दो खजूर लेकर गुठली निकाल के उनमें शुद्ध घी व एक-एक काली मिर्च भरें। इन्हें गुनगुने दूध के साथ एक महीने तक नियमित लें। इससे शरीर पुष्ट व बलवान होगा, शक्ति का संचार होगा।

5 खजूर को अच्छी तरह धोकर गुठलियाँ निकाल लें। 350 ग्राम दूध के साथ इनका नियमित सेवन करने से शरीर शक्तिशाली एवं मांसपेशियाँ मजबूत होंगी तथा वीर्य गाढ़ा होगा व शुक्राणुओं में वृद्धि होगी।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2016, पृष्ठ संख्या 30 अंक 288

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