साधना में चार चाँद लगाने वाला अमृतकालः चतुर्मास

साधना में चार चाँद लगाने वाला अमृतकालः चतुर्मास


(चतुर्मासः 23 जुलाई 2018 से 19 नवम्बर 2018 तक)

चतुर्मास की बड़ी भारी महिमा है, इन बातों को जानकर इस अमृतकाल का लाभ उठाइयेः

  1. सद्धर्म, सत्संग-श्रवण, सत्पुरुषों की सेवा, संतों के दर्शन, भगवान का पूजन आदि सत्कर्मों में संलग्न रहना और सुपात्र हेतु दान देने में अनुराग होना – ये सब बातें चतुर्मास में अत्यंत कल्याणकारी बतायी गयी हैं।
  2. इन दिनों भूमि पर (चटाई, कम्बल, चादर आदि बिछाकर) शयन, ब्रह्मचर्य-पालन, उपवास, मौन, ध्यान, जप, दान-पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं।
  3. जल में आँवला मिलाकर स्नान करने से पुरुष तेजवान होता है और नित्य महान पुण्य प्राप्त होता है।
  4. चतुर्मास में ताँबे के पात्र में भोजन विशेष रूप से त्याज्य है। इन दिनों धातु के पात्रों का त्याग कर पलाश के पत्तों पर भोजन करने वाला ब्रह्मभाव को प्राप्त होता है, ऐसा शास्त्र में कहा गया है।
  5. इन दिनों में परनिंदा का विशेष रूप से त्याग करें।
  6. चतुर्मास में शादी-विवाह और सकाम यज्ञ नहीं होते। ये चार मास साधन-भजन करने के हैं।
  7. पद्म पुराण में आता है कि जो व्यक्ति भगवान के शयन करने पर विशेषतः उनके नाम का कीर्तन और जप करता है, उसे कोटि गुना फल मिलता है।
  8. चतुर्मास में भगवान विष्णु के सामने खड़े होकर ‘पुरुष सूक्त’ का पाठ करने से बुद्धिशक्ति बढ़ती है।

अपना आध्यात्मिक खजाना बढ़ायें

चतुर्मास की महिमा के बारे में पूज्य बापू जी के सत्संग में आता हैः “जैसे किसान बोवाई करके थोड़ा आराम करता है और खेत के धन का इंतजार करता है, ऐसे ही चतुर्मास में आध्यात्मिक धन को भरने की शुरुआत होती है। हो सके तो सावन के महीने में एक समय भोजन करें, जब बढ़ा दे। हो सके तो किसी पवित्र स्थान स्थान पर अनुष्ठान करने के लिए चला जाय अथवा अपने घर में ही पूजा कमरा बना दे। एक सुबह नहा धोकर 5 बजे पूजा-कमरे में चला जाय और दूसरी या तीसरी सुबह को निकले। मौन रहे, शरीर के अनुकूल फलाहार, अल्पाहार करे। अपना आध्यात्मिक खजाना बढ़ाये। ‘आदर हो गया, अनादर हो गया, स्तुति हो गयी, निंदा हो गयी… कोई बात नहीं, हम तो करोड़ काम छोड़कर प्रभु को पायेंगे।’ ऐसा दृढ़ निश्चय करे। बस, फिर तो प्रभु तुम्हारे हृदय में प्रकट होने का अवसर पैदा करेंगे।”

विशेषः चतुर्मास के दौरान सभी साधक मंत्रजप-अनुष्ठान का लाभ अवश्य लें। मौन-मंदिर व अनुष्ठान की सुविधा संत श्री आशाराम जी आश्रमों में उपलब्ध है।

अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें- साधक निवास कार्यालय, संत श्री आशाराम जी आश्रम, अहमदाबाद। दूरभाषः 079-39877729

स्रोतः ऋषि प्रसाद जुलाई 2018, पृष्ठ संख्या 13 अंक 307

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