सच्चे कर्मवीरो ! अमृतकलश उठाओ… आगे बढ़ते रहो !

सच्चे कर्मवीरो ! अमृतकलश उठाओ… आगे बढ़ते रहो !


भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज

नवयुवको ! पृथ्वी जल रही है । मानव समाज में जीवन के आदर्शों का अवमूल्यन हो रहा है । अधर्म बढ़ रहा है, दीन-दुःखियों को सताया जा रहा है, सत्य को दबाया जा रहा है । यह सब कुछ हो रहा है फिर भी तुम सो रहे हो ! उठकर खड़े हो जाओ । समाज की भलाई के लिए अपने हाथों में वेदरूपी अमृतकलश उठाकर ब्रह्मनिष्ठ महापुरुषों के मार्गदर्शन में चलते हुए लोगों की पीड़ाओं को शांत करो, अपने देश और संस्कृति की रक्षा के लिए अन्याय, अनाचार एवं शोषण को सहो मत । उनसे बुद्धिपूर्वक लोहा लो । सज्जन लोग संगठित हों । एकता में महान शक्ति है । लगातार आगे बढ़ते रहो…. आगे बढ़ते रहो । विजय तुम्हारी ही होगी । सच्चे कर्मवीर बाधाओं से नहीं घबराते । अज्ञान, आलस्य और दुर्बलता को छोड़ो ।

जब तक न पूरा कार्य हो, उत्साह से करते रहो ।

पीछे न हटिये एक तिल, आगे सदा बढ़ते रहो ।।

उद्यम न त्यागो । सदैव भलाई के कार्य करते रहो एवं दूसरों को भी अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करो । फल की इच्छा से ऊपर उठ जाओ क्योंकि इच्छा बंधन में डालती है । केवल अपने लिए नहीं, सभी के लिए जियो । यदि नेक कार्य करते रहोगे तो भगवान तुम्हें सदैव अपनी अनंत शक्ति प्रदान करते रहेंगे ।

बुरे व्यक्ति अच्छे कार्य में विघ्न डालते रहेंगे परंतु ‘सत्यमेव जयते ।’

स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2018, पृष्ठ संख्या 31 अंक 312

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