प्राकृतिक शुद्धिकारक व स्वास्थ्यवर्धक मूली

प्राकृतिक शुद्धिकारक व स्वास्थ्यवर्धक मूली


आयुर्वेद के अनुसार ताजी, कोमल, छोटी मूली रुचिकारक, भूखवर्धक, त्रिदोषशामक, पचने में हलकी, तीखी, हृदय के लिए हितकर तथा गले के रोगों में लाभदायी है । यह उत्तम पाचक, मल-मूत्र की रुकावट को दूर करने वाली व कंठशुद्धिकर है । बड़ी, पुरानी मूली पचने में भारी, उष्ण, रूक्ष और त्रिदोषकारक होती है । मूली के पत्ते व बीज भी औषधीय गुणों से युक्त होते हैं ।

आधुनिक अनुसंधानानुसार मूली में कैल्शियम, पौटैशियम, फॉस्फोरस, मैग्नेशियम, मैंगनीज़, लौह आदि खनिज पर्याप्त मात्रा में होने के साथ रेशे (fibres) विटामिन ‘सी’ तथा अन्य पोषक तत्त्व पाये जाते हैं ।

मूली मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायी है । यह गुर्दों के स्वास्थ्य के लिए अच्छी रहती है और शरीर से विषैले तत्त्वों को निकालने में भी कारगर है । इसे कच्ची हल्दी के साथ खाने से बवासीर में लाभ होता है । इसका ताजा रस पीने से पथरी एवं मूत्र-संबंधी रोगों में राहत मिलती है । अफरा में मूली के पत्तों का रस विशेषरूप से उपयोगी होता है । इसके नियमित सेवन से पुराना कब्ज दूर होता है ।

पेट के लिए उत्तम

मूली पेट व यकृत के रोगों में बहुत लाभकारी है अतः इसे पेट व यकृत हेतु सबसे अच्छा ‘प्राकृतिक शुद्धिकारक’ माना गया है । अधिक मात्रा में रेशे होने से यह मल को मुलायम करने और पाचनक्रिया को बढ़िया रखने में मदद करती है ।

मूली व उसके पत्ते, खीरा या ककड़ी व टमाटर काट लें । इसमें नमक, काली मिर्च का चूर्ण व नींबू मिला के खायें । इससे पाचन-संबंधी अनेक समस्याओं तथा कब्ज में लाभ होता है ।

औषधीय प्रयोग

  1. पेशाब व शौच की समस्याः मूली के पत्तों का 20-40 मि.ली. रस सुबह-शाम सेवन करने से शौच साफ आता है और पेशाब खुलकर आता है, इससे वज़न घटाने में भी मदद मिलती है ।
  2. पेट के रोगः मूली के 50 मि.ली. रस में अदरक का आधा चम्मच व नींबू का 2 चम्मच रस मिलाकर नियमित पीने से भूख बढ़ती है । पेट में भारीपन महसूस हो रहा हो तो मूली के 15-20 मि.ली. रस में नमक मिला के पीने से लाभ होता है ।
  3. पथरीः बार-बार पथरी होने के समस्या में मूली के पत्तों के 50 मि.ली. रस में 1 चम्मच धनिया-चूर्ण मिला के लगातार 3 महीने लेने से पथरी होने की सम्भावना नहीं रहती है । साथ में पथ्य-पालन आवश्यक है ।
  4. सूजनः मूली के 1-2 ग्राम बीज का 5 ग्राम तिल के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से सभी प्रकार की सूजन में लाभ होता है ।

सावधानीः छोटी, पतली व कोमल मूली का ही सेवन करना चाहिए । मोटी, पकी हुई मूली नहीं खानी चाहिए । इसे रात में व दूध के साथ नहीं खाना चाहिए । माघ मास में (21 जनवरी से 19 फरवरी 2019 तक) मूली खाना वर्जित है ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, फरवरी 2019, पृष्ठ संख्या 31 अंक 314

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