एक सज्जन व्यक्ति थे । उनका एक नौकर था जो कोई काम सही तरीके से नहीं करता था । उसके काम करने का ढंग ऐसा था की धीर से धीर व्यक्ति भी उसे देखकर आपे से बाहर हो जाय परंतु उसका मालिक बड़ा साधु स्वभाव का था । वह न तो नौकर से खिन्न होता और न ही कभी क्रोधावेश में आता था बल्कि उसके साथ बड़ा मधुर व्यवहार करता था ।
एक बार उसके घर में एक मेहमान आया । वह नौकर के व्यवहार से बहुत अप्रसन्न हुआ । उसने मालिक से कहाः “आप इसको तुरन्त हटा दीजिये ।”
मालिकः “आपकी सलाह तो अच्छी है और मैं जानता हूँ कि आप मेरी भलाई चाहते हैं इसलिए यह सलाह दे रहे हैं । परंतु ऐसे व्यवहार के कारण ही मैं उसको रखे हुए हूँ ।”
अजीब उत्तर सुन के मेहमान अवाक् रह गया !
मालिकः “मेरे सम्पर्क में आने वाले अन्य सभी लोग बहुत अच्छे, नेक, सज्जन हैं । वे मेरा विरोध करने की सोचते भी नहीं, सिर्फ यही ऐसा व्यक्ति है जो मेरी आज्ञा नहीं मानता, ऐसी बातें ऐसे काम करता है जो मेरे लिए अप्रशंसनीय व अपमानजनक हैं । इससे मुझे एक विशेष प्रशिक्षण मिलता है – समता बढ़ाने का, अपने पर नियंत्रण रखने का, अविकम्प योग का प्रशिक्षण । जैसे लोग अपनी शारीरिक शक्ति बढ़ाने हेतु व्यायाम के लिए डम्बलों का प्रयोग करते हैं, उसी प्रकार यह मेरी आध्यात्मिकता बढ़ाने हेतु मानो एक डम्बल है, इसके माध्यम से मैं अपनी समता, शांति, उदारता, सहनशीलता, आत्मदृष्टि – इन शक्तियों को सुगठित करता हूँ ।”
यदि आपको लगता है कि आपके संबंधी या अन्य कोई व्यक्ति अथवा संसार की अन्य अप्रिय बातें आपके लिए बाधा बनती हैं तो आपको झल्लाने या घबराने की आवश्यकता नहीं । आप उक्त मालिक के उदाहरण का अनुकरण कीजिये और कठिनाइयों, मतभेदों, विरोधों को बल और शक्ति का अतिरिक्त स्रोत बना लीजिये ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2019, पृष्ठ संख्या 7 अंक 319
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