पैरों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए

पैरों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए


क्या करें क्या न करें
1. पैरों व मलमार्गों की यथा-अवसर शुद्धि करते रहने से पवित्रता, धारणाशक्ति व आयु बढ़ती है और कुरूपता तथा रोगों का नाश होता है ।

2. पैरों की विशेषतः तलवों की तेल-मालिश करते रहने से उनका खुरदरापन, जकड़ाहट, रुक्षता, सुन्नता व थकावट दूर होते हैं तथा पैर श्रम से अकड़ते नहीं । पैरों में कोमलता व बल आता है, नेत्रजयोति बढ़ती है, नींद अच्छी आती है। पैरों व एड़ियों का दर्द, पैरों की नसों में खिंचाव, सायटिका, बिवाइयाँ आदि में भी लाभ होता है ।

3. हाथों से धीरे-धीरे पैर दबाने से प्रसन्नता व बल बढ़ता है, थकान मिटती है तथा नींद अच्छी आती है । इससे मांस, रक्त व त्वचा पुष्ट होते हैं, वात-कफ के दोष दूर होते हैं ।

4. दौड़ने, रस्सीकूद, तैरने, व्यायाम आदि से पैर स्वस्थ व मजबूत रहते हैं ।

5. तलवों की जलन में गुलाबजल* में मुलतानी मिट्टी* मिला के पैरों में लगायें व सूखने पर धोयें ।

1. नंगे पैर भ्रमण न करें, यह रोगकारक नेत्रज्योति व आयु नाशक है ।

2. अधिक ढीले, तंग, सख्त या प्लास्टिक के अथवा किसी दूसरे के जूते-चप्पल न पहनें ।

3. कुर्सी पर बैठते समय पैर नीचे की तरफ सीधे रख के बैठें, पैरों को एक के ऊपर एक रख के न बैठें ।

4. पैरों में तंग कपड़े न पहनें । इससे त्वचा को खुली हवा न मिलने से पसीना नहीं सूखता व रोमकूपों को ऑक्सीजन न मिलने से त्वचा-विकार होते हैं । पैरों का रक्तसंचार प्रभावित होने से पैर जल्दी थकते हैं ।

5. एक ही पैर पर भार दे के खड़े न रहें । इससे घुटनों व एड़ियों का दर्द होता है ।

6. ऊँची एड़ी की चप्पलें थकानकारक, शरीर का संतुलन बिगाड़ने वाली, अंगों पर अनावश्यक भार पैदा करने वाली होती हैं । अतः इन्हें न पहनें ।

 

* आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध । फटी एड़ियों हेतु अच्युताय मलहम विशेष लाभकारी है ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, सितम्बर 2019, पृष्ठ संख्या 33, अंक 321

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