मनोबल बढ़ाने के चार सूत्र

मनोबल बढ़ाने के चार सूत्र


नियमः आप अपने जीवन में कोई नियम धारण करेंगे तो आपका मनोबल बढ़ेगा । यह नियम लीजिये कि इतना जप, पाठ, स्वाध्याय, इतनी पूजा किये बिना हम भोजन नहीं करेंगे । जिस दिन नियम करने में देर हो जाय उस दिन थोड़ा कष्ट सहिये, आपका मनोबल बढ़ेगा । जो तकलीफ सहने को तैयार नहीं है उसका मन कमजोर हो जाता है ।

श्रद्धाः आप ब्रह्मवेत्ता सदगुरु, परमात्मा और वेद-शास्त्रों पर श्रद्धा कीजिये कि वे हमारी रक्षा करेंगे । युद्धभूमि में एक सैनिक लड़ता है तो उसे यह विश्वास होता है कि ‘हमारे पीछे सेनापति है, राष्ट्रपति है, सारा राष्ट्र है, हमको सहायता मिलेगी और हम युद्ध में विजयी होंगे ।’ इसी तरह आप भी जो काम करें, इस विश्वास के साथ करें कि आपके पीछे आपके शास्त्र (जीवन का संविधान ) हैं, आपके सदगुरुदेव हैं, प्रभु हैं । आपके जीवन में श्रद्धा बनी रहेगी तो आपको मनोबल भी बना रहेगा ।

समीक्षाः आपके जीवन में जब कुछ खट्टे-मीठे अनुभव आयें तब समीक्षा कीजिये कि ‘ये कटु अनुभव दिख रहे हैं लेकिन इनके पीछे परमात्मा की कितनी कृपा है, करुणा है !’ समीक्षा के अभाव में आप ईश्वर को, भाग्य को, समाज को, अपने पुण्यों को और कर्मों को कोसने लगेंगे । उस समय शायद पता न चले पर आप फरियाद की खाई में गिरकर और दुःख बढ़ा लेंगे । उससे आपकी शक्ति क्षीण होगी परंतु समीक्षा करने पर आप बिना धन्यवाद दिये नहीं रह सकते । प्रतीक्षा उसकी होती है जो अप्राप्त हो और समीक्षा प्राप्त वस्तु-परिस्थिति की की जाती है । हर अवस्था में परमात्मा की कृपा निहारने से, कृपा की समीक्षा करने से शांति स्वाभाविक आयेगी, आपका परमात्म-चिंतन व मनोबल बढ़ेगा ।

भगवन्नाम उच्चारणः इससे भी मनोबल में वृद्धि होती है । जब आप भगवान के नाम का संकीर्तन करते हैं, तब आपके अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय – सभी कोशों के एक-एक अंश आपस में मिल जाते हैं । भगवन्नाम-उच्चारण में आपके पाँचों कोश एक साथ मिलकर ऐसी क्रिया को पूर्ण करने में लगते हैं जो आपके मानसिक बल को बढ़ाने वाली है ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2019, पृष्ठ संख्या 2 अंक 323

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