116 ऋषि प्रसादः अगस्त 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

विवेक की महिमा


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से विवेकी मनुष्य को संसार के भोगों से वैराग्य होता है और विषय-रस में नीरस बुद्धि होती है। ‘संसार के भोग बाहर से कितने सुंदर, रसदायी और सुखदायी दिखते हैं किन्तु अंत में देखो तो कुछ भी नहीं….’ ऐसा विचार विवेकी को होता है। जैसे मलिन वस्त्रों को …

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युधिष्ठिर का प्रश्न


युधिष्ठिर ने पितामह भीष्म से पूछाः “कोई मनुष्य नीतिशास्त्र का अध्ययन करके भी नीतिज्ञ नहीं देखा जाता और कोई नीति से अनभिज्ञ होने पर भी मंत्री के पद पर पहुँच जाता है, इसका क्या कारण है ? कभी-कभी विद्वान और मूर्ख दोनों की एक सी स्थिति होती है। खोटी बुद्धि वाले मनुष्य धनवान हो जाते …

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नागपंचमी


‘नागपंचमी’ अर्थात् नागदेवता के पूजन का दिवस…. वैसे तो कुछ ऐसी भी जातियाँ हैं जो वर्षभर नागदेवता की पूजा करती हैं, गुजरात में वह जाति ‘रबारि-देसाई’ कही जाती है। किंतु नागपंचमी के दिन तो सभी लोग नागदेवता की पूजा करते हैं। विचारकों का कहना है कि पूर्वकाल में जब मनुष्य ने खेती करना आरंभ किया …

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