268 ऋषि प्रसादः अप्रैलः 2015

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

Rishi Prasad 268 Apr 2015

सफलता के लिए आध्यात्मिकता जरूरी


यूरोप में विश्वविद्यालय का एक छात्र रेलगाड़ी में यात्रा कर रहा था। पास में बैठे एक बुजुर्ग व्यक्ति को माला से भगवत्स्मरण करते देख उसने कहाः महाशय ! इन पुराने रीति-रिवाजों को आप भी मानते हैं ?” बुजुर्गः “हाँ, मानता हूँ। क्या तुम नहीं मानते ?” छात्र हँसा और अभिमानपूर्वक बोलाः “मुझे इन वाहियात बातों …

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Rishi Prasad 268 Apr 2015

संकल्पशक्ति से सब सम्भव है – पूज्य बापू जी


संकल्प में बड़ी शक्ति होती है और अभी का संकल्प अभी भी फलित हो सकता है, दो दिन, दस दिन, सौ दिन या सौ साल के बाद भी फलित हो सकता है। संकल्पों की ही दुनिया है। एक बार गुरु ने शिष्यों से पूछाः “सबसे ज्यादा ठोस क्या चीज है ?” एक शिष्य ने कहाः …

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Rishi Prasad 268 Apr 2015

वासना मिटाओ, आत्मज्ञान पाओ


‘योगवासिष्ठ महारामायण’ में वसिष्ठजी कहते हैं- “हे राम जी ! जितने दान और तीर्थादिक साधन हैं उनसे आत्मपद की प्राप्ति नहीं होती।” पूज्य बापू जीः “दान से धन शुद्ध होगा, तीर्थों से चित्त की शुद्धि होगी परंतु आत्मशांति, आत्मानंद सदगुरु के दर्शन-सत्संग से होगा। इसलिए बोलते हैं- तीरथ नहाये एक फल, संत मिले फल चार। …

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