277 ऋषि प्रसादः जनवरी 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

विचार की बलिहारी


‘नारद पुराण’ में आता है कि रैवत मन्वंतर में वेदमालि नामक एक प्रसिद्ध ब्राह्मण रहता था। विद्वान व शास्त्रज्ञ होने पर भी उसने अनेक उपायों से यत्नपूर्वक धन एकत्र किया। अपने व्रत, तप, पाठ आदि को भी दक्षिणा लेकर दूसरों के लिए संकल्प करके दे देता तथा शास्त्रनिषिद्ध व्यक्तियों से भी दान लेने में संकोच …

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भूमि का अपना प्रभाव होता है


पूज्य बापू जी इस (अहमदाबाद आश्रम की) भूमि को साधारण मत समझना। तीर्थत्व है इसमें। यहाँ पूर्वकाल में जाबल्य ऋषि का आश्रम था। (ऊपर वाले) बड़ बादशाह के पास जहाँ कार्यालय है, वहाँ नींव खोदी गयी तो यज्ञ की राख निकलती गयी। उसे हमने भी निकाला और हमारे सेवकों ने भी। कितनी ट्रकें राख निकली …

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… तो देखो क्या ध्यान लगता है!


‘वह आनंद जो ईश्वर का आनंद है – ब्रह्मानंद, जिससे बढ़कर दूसरा कोई आनंद नहीं है, उसकी प्राप्ति के लिए आज से शक्तिभर प्रयत्न करेंगे।’ – यह दृढ़ निश्चय, दृढ़ प्रतिज्ञा ध्यान में सहायक है। इसका अर्थ है कि हमको अब जिंदगी भर ध्यान ही करना है। ‘हे विषयो ! अब हम तुम्हें हाथ जोड़ते …

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