266 ऋषि प्रसादः फरवरीः 2015

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संस्कृत प्रेमी राजा भोज


प्राचीनकाल में उज्जैन से थोड़ा दूर, धारा नगरी (वर्तमान धार, म.प्र.) राजा भोज की राजधानी थी। राजा का संस्कृत भाषा के प्रति प्रेम इतिहास-प्रसिद्ध है। वे चाहते थे कि उनके राज्य में रहने वाले साधारण जन भी संस्कृत पढ़ें और दैनिक जीवन में उसका प्रयोग करें। एक समय भोज ने यह घोषणा करा दी कि …

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मनुष्य जीवन किसलिए ? – पूज्य बापू जी


ईश्वरप्राप्ति में बहुत मजा है, यह बहुत सुगम है। संसार-सागर तरना गाय के खुर को लाँघने के समान सुगम है – यह बाद में पता चला, पहले मैंने भी बहुत पापड़ बेले थे। लेकिन मेरे गुरुदेव को जो मेहनत करनी पड़ी थी, उसका सौवाँ हिस्सा भी मुझे नहीं करनी पड़ी। अनजाने में मुझे जितनी मेहनत …

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नियमनिष्ठा महकाये जीवन की बगिया


व्रत से जीवन में दृढ़ता आती है। व्रतेन दीक्षामाप्नोति….. अव्रती व्यक्ति काम करते हुए ऊब जायेगा, पलायन कर जायेगा, दूसरे को दोष देगा परंतु व्रती आदमी दूसरे को दोष नहीं देगा। आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों व्रत-कार्य साफल्य ले आयेगा। गांधी जी के आश्रम का नियम था कि भोजन की हर पंगत …

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