287 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

तो मैं अपने धर्म का त्याग क्यों करूँ ?


महात्मा आनंद स्वामी के पिता थे गणेशदास जी। वे एक रिटायर्ड कर्नल के यहाँ मुंशीगिरी करते थे। वहाँ रहते हुए धर्म पर से उनका धीरे-धीरे विश्वास उठता गया। एक दिन उन्होंने ईसाई बनने की ठान ली। सभी लोग इस निर्णय से हैरान परेशान हो गये पर ईसाइयों के लिए यह बड़ी विजय का सूचक था। …

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आगे बढ़ने से रोकने वाला शत्रुः अभिमान


विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य निर्माण में अभिमान एक बहुत बड़ी बाधा है। यह विद्यार्थियों की योग्यताओं का नाश करने वाला दुर्गुण है। मनुष्य में अहंकार का आना पतन का सूचक है। अभिमान नासमझी से उत्पन्न होता है और विचार करने से घड़ी भर भी नहीं टिक सकता। किसी विद्यार्थी को कक्षा में कोई चीज समझ …

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मैं झूठ की जीत स्वीकार नहीं करूँगा


बात उन दिनों की है जब श्री गोपालस्वरूप पाठक इलाहाबाद में वकालत करते थे। उन्होंने अपने मार्गदर्शक महामना पं. मदनमोहन मालवीय जी से प्रेरणा ली थी कि वे कभी झूठ नहीं बोलेंगे और न किसी को धोखा देंगे। एक बार पाठक जी के पास सम्पत्ति के विवाद का मुकद्दमा आया। उन्होंने अपने मुवक्किल से दस्तावेज …

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