266 ऋषि प्रसादः फरवरीः 2015

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

हमारे साधक गुमराह होने वाले नहीं हैं – पूज्य बापू जी


  (सन् 2004 व 2008 के सत्संगों से) महापुरुषों का संग आदरपूर्वक, प्रयत्नपूर्वक करना चाहिए और उनकी बात को आत्मसात् करना चाहिए। इसी में हमारा कल्याण है। बाकी तो सत्पुरुष धरती पर आते हैं तो उनके प्रवचनों को, उनके व्यवहार को अथवा उनकी बातों को तोड़-मरोड़ के विकृत करके पेश कर कुप्रचार करने वाले लोग …

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साधना में जल्दी प्रगति के लिए महत्त्वपूर्ण छः बातें – पूज्य बापू जी


  कई लोग कहते हैं कि माला करते करते नींद आने लगती है तो क्या करें ? सतत माला नहीं होती तो आप सेवा करें, सत्शास्त्र पढ़ें। मन बहुआयामी है तो उसको उस प्रकार की युक्तियों से संभाल के चलाना चाहिए। कभी जप किया, कभी ध्यान किया, कभी स्मरण किया, कभी सेवा की – इस …

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समझ बिगड़ी तो सब बिगड़ा – पूज्य बापू जी


  गुजराती भाषा में एक कहावत हैः चा बगड़ी तो सवार बगड़ी, शाक बगडयुं तो दिवस बगड्यो, अथाणुं बगड्युं तो वर्ष बगड्युं, अने बैरूं बगड्युं तो आखी जिंदगी बगड़ी। अर्थात् चाय बिगड़ी तो सवेरा बिगड़ा, सब्जी बिगड़ी तो दिवस बिगड़ा, अचार बिगड़ा तो पूरा वर्ष बिगड़ा और पत्नी बिगड़ी तो सारी जिंदगी बिगड़ी। यह पुरानी …

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