273 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2015

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

यही आत्मसाक्षात्कार है – पूज्य बापू जी


  (पूज्य बापू जी का 51वाँ आत्मसाक्षात्कार दिवसः 14 अक्तूबर 2015) प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः। अहंकारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते।।  (गीताः 3.27) प्रकृति में ही गुण कर्म हो रहे हैं लेकिन अहंकार से जो विमूढ़ हो गये, वे अपने को कर्ता-भोक्ता, सुखी-दुःखी मानते हैं। भाव आये तो मैं दुःखी हूँ या मैं सुखी हूँ यह आयेगा …

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असली टकसाल


  गुरु जी मिलते हैं तो दो प्रकार के लाभ होते हैं- एक लघु लाभ और दूसरा गुरु लाभ। तंदुरुस्ती, यश, धन, आरोग्य – ये लघु लाभ हैं तथा भगवान की भक्ति, प्रीति, भगवान में शांति और ‘भगवान मेरे से दूर नहीं, मेरा आत्मा ही ब्रह्म है ‘ यह ज्ञान – ये गुरु लाभ हैं। …

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प्रकृति के बहाने परमात्मा की याद


  भगवान राम जी बनवास के दौरान बालि को मारकर सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बना दिया था और स्वयं एक पर्वत पर वास कर रहे थे। प्रकृति की सुरम्या छटा के मनोहर वर्णन के बहाने राम जी ने अपने अनुज लक्ष्मण को बहुत ऊँचा ज्ञान दिया है। ऋतु परिवर्तन एवं प्राकृतिक वर्णन को निमित्त …

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