046 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 1996

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ईश्वरीय विधान का आदर


पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू एक होता है ऐहिक विधान और दूसरा होता है ईश्वरीय विधान। ऐहिक विधान का निर्माण ऐहिक लोगों द्वारा होता है और इसमें भिन्नता होती है। अलग-अलग राष्ट्र अपने-अपने हिसाब से अपना विधान बनाते हैं। ऐहिक विधान बनाने वाले कभी गलती भी कर लेते हैं और अमल कराने वाले भी कई …

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गुरुदेव के दिये हुए गुरुमंत्र का अमोघ प्रभाव


आत्मारामी संत पूज्य बापू जी के आशीर्वाद से ही मुझे पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। उसका नाम नारायण रखा । पूरे परिवार में एक खुशी की लहर दौड़ गई। मैंने मन ही मन पूज्य गुरुदेव की पूजा-अर्चना की। मैं खुशी से फूली न समा रही थी। मैंने सुना था कि कोई आत्मवेत्ता संत अपनी आत्मानंद की …

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असंभव कुछ नहीं…. सब कुछ संभव है….


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू सन् 1910 की एक घटित घटना हैः जर्मनी का एक लड़का वुल्फ मेहफिन स्कूल में ढंग से पढ़ता न था। मास्टर की मार के भय से एक दिन वह स्कूल छोड़कर भाग गया। भागकर वह गाड़ी में जा बैठा किन्तु उसके पास टिकट नहीं था। जब टिकट चेकर टिकट चैक …

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