049 ऋषि प्रसादः जनवरी 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

निरंजन वन में साधु अकेला खेलता है…


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू कबीर जी कहते हैं- निरंजन वन में साधु अकेला खेलता है….. बख्खड़ ऊपर गौ वीयाई उसका दूध बिलोता है।। मक्खन मक्खन साधु खाये छाछ जगत को पिलाता है। निरंजन वन में साधु अकेला खेलता है… निरंजन वन में…. अंजन माने इन्द्रियाँ। जहाँ इन्द्रियाँ न जा सके वह है निरंजन। उस …

Read More ..

करो सेवा मिले मेवा….


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू बड़ौदा में गायकवाड़ का राज्य था। उनके कुल की महिला शांतादेवी स्वामी शांतानंद जी के दर्शन करने गयी। आश्रम में जाकर उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति गौशाला में सफाई कर रहा है। शांतादेवी ने उससे कहाः “मुझे पूज्य गुरुदेव के दर्शन करने हैं।” उसने कहाः “यहाँ कोई गुरुदेव नहीं रहते।” …

Read More ..

जहँ राम तहँ नहीं काम….


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू मन की पाँच अवस्थाएँ होती हैं- क्षिप्त, विक्षिप्त, मूढ़, एकाग्र और निरूद्ध। क्षिप्त, विक्षिप्त और मूढ़ ये आम मन की अवस्थाएँ हैं एवं एकाग्र और निरूद्ध ऊँचे मन की अवस्थाएँ हैं। भारत के ऋषि-मुनियों ने एकाग्र और निरूद्ध मन का अनुसंधान करके ही समाधिसुख पाया है, दिव्य सृष्टि का अनुभव …

Read More ..