052 ऋषि प्रसादः अप्रैल 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ग्रीष्म ऋतु में आहार-विहार


वैसे तो स्वस्थ व नीरोगी रहने के लिए प्रत्येक ऋतु में ऋतु के अनुकूल आहार-विहार जरूरी होता है लेकिन ग्रीष्म ऋतु में आदानकाल का समय होने से आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना पड़ता है क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से शरीर के पोषण की अपेक्षा शोषण होता है। अतः उचित आहार-विहार में की गई लापरवाही हमारे …

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धर्मात्मा की ही कसौटियाँ क्यों ?


पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू प्रायः भक्तों के जीवन में यह फरियाद बनी रहती है कि हम  भगवान की इतनी भक्ति करते हैं, रोज सत्संग करते हैं, निःस्वार्थ भाव से गरीबों की सेवा करते हैं, धर्म का यथोचित अनुष्ठान करते हैं ? आपका यह मानना-जानना सत्य है कि कसौटियाँ भक्तों की ही क्यों होती हैं …

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ब्राह्मण पुत्र मेधावी


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी। विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि।। ʹमुझ परमेश्वर में अनन्य योग के द्वारा अव्यभिचारिणी भक्ति करके एकांत देश में रहने का स्वभाव और विषयासक्त मनुष्य के समुदाय में प्रेम का न होना….(यह ज्ञान है, मोक्ष का मार्ग है।) भगवदगीताः 13.10) इन्द्रियों एवं मन को तुच्छ वृत्तियों को संतुष्ट करने में लगना, आत्मानंद …

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