057 ऋषि प्रसादः सितम्बर 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सावधान रहो


पूज्यपाद संत श्री आसाराम जी बापू विश्राम में अदभुत बल है। कितना भी भोजन करो किन्तु बिना आराम के थकान नहीं मिटती है। शरीर की विश्रांति से शरीर की थकान मिटती है और चित्त की विश्रांति से जन्मों-जन्मों की मानसिक थकान मिटती है। मानसिक थकान मिटने से मन प्रेम रस से परिपूर्ण होने लगता है। …

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परिस्थितियों के प्रभाव से परे


पूज्यपाद संत श्री आसाराम जी बापू सारे जन्म-मरण मन की चंचलता और आसक्ति का फल है। सारे दुःख-क्लेश और मुसीबतों का मूल है मन की चंचलता और आसक्ति। गीता में अर्जुन कहता है श्रीकृष्ण सेः चंचलं हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद् दृढ़म्। तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम्।। ʹहे कृष्ण ! यह मन बड़ा चंचल और …

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करने में सावधान


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू कर्मप्रधान बिस्व करि राखा। जो जस करहिं सो तस फल चाखा।। जो कर्म अभानावस्था में होते हैं, उन कर्मों का संचय नहीं होता है। बाल्यावस्था में किये गये कर्मों का, मूढ़ावस्था में किये गये कर्मों का संचय नहीं होता है। पशु-पक्षियों के कर्मों का संचय नहीं होता है। जो अहंकार …

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