077 ऋषि प्रसादः मई 1999

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वास्तविक कल्याण का मार्ग


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू 2 मई, 1999-नारद जयंती पर विशेष एक दिन राजा उग्रसेन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहाः “जनार्दन ! सब लोग नारदजी के गुणों की प्रशंसा करते हैं। अतः तुम मुझसे उनके गुणों का वर्णन करो।” सच ही है, जो अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करता, सर्वत्र नारायण के नाम-कीर्तन व गुणगान में …

Read More ..

भक्ति के दुःखों की निवृत्ति


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू ʹश्रीमद् भागवत माहात्म्यम्ʹ के प्रथम अध्यायच में कथा आती हैः एक बार नारदजी विचरण करते-करते भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली वृंदावन में जा पहुँचे।  वहाँ पर उन्होंने देखा कि एक युवती के पास दो वृद्ध पुरुष अचेत से पड़े हुए हैं और वह युवती कभी उन्हें होश में लाने का प्रयत्न …

Read More ..

ब्रह्मज्ञानी की गत ब्रह्मज्ञानी जाने


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू परमात्मा सदा से है, सर्वत्र है। उसके सिवाय अन्य कुछ है ही नहीं। इस बात को जो समझ लेता है, जान लेता है वह परमात्मारूप हो जाता है। सूर्य के उदित होते ही संपूर्ण जीव सृष्टि अपने-अपने गुण स्वभाव के अनुसार अपने अपने कार्य में संलग्न हो जाती है। सूर्य …

Read More ..