079 ऋषि प्रसादः जुलाई 1999

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भागवत प्रसाद


पूज्यपाद संत श्री आशाराम जी बापू कलियुगे के आदमी का जीवन कोल्हू के बैल जैसा है। उसके जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य नहीं है। किसी ने कलियुग के मानव की दशा पर कहा हैः पैसा मेरा परमेश्वर और पत्नी मेरी गुरु। लड़के-बच्चे शालिग्राम अब पूजा किसकी करूँ।। लोग इतने अल्प मति के हो गये हैं …

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गुरुवर को प्रणाम


चैतन्यं शाश्वतं शान्तं व्योमातीतं निरंजनम्। नादबिन्दुकलातीतं तस्मै श्रीगुरवे नमः।। ʹजो चैतन्य, शाश्वत, शांत, आकाश से परे हैं, इन्द्रियों से परे हैं, जो नाद, बिंदु और कला से परे हैं, उन श्रीगुरुदेव को प्रणाम हैं !ʹ यत्सत्येन जगत्सत्यं यत्प्रकाशेन विभाति यत्। यदानन्देन नन्दन्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः।। ʹजिसके अस्तित्त्व से संसार का अस्तित्त्व है, जिसके प्रकाश से …

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गुरुद्वार पर कैसे रहें


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू श्री महाभारत में आता हैः न विना ज्ञानविज्ञाने मोक्षस्याधिगमो भवेत्। न विना गुरुसम्बन्धं ज्ञानस्याधिगमः स्मृतः।। गुरु प्लावयिता तस्य ज्ञानं प्लव इहोत्यते। विज्ञाय कृतकृत्यस्तु तीर्णस्तदुभयं त्यजेत्।। “जैसे ज्ञान विज्ञान के बिना मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता, उसी प्रकार सदगुरु से संबंध हुए बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। गुरु इस …

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