079 ऋषि प्रसादः जुलाई 1999

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सदैव प्रसन्न रहने का परिणाम


मन में दो  बातें एक साथ नहीं रह सकतीं। जिस समय मन दुःखी होगा उस समय मन सुखी नहीं होगा। जिस मन सुखी होगा उस समय दुःखी नहीं होगा। इस तथ्य का लाभ उठाना चाहिए। कितना भी बड़ा भारी दुःख आ जाये, आप अपने मन में सुख भरने की कला सीख लो। अगर सुख भरने …

Read More ..

सत्शिष्य के लक्षण


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू सत्शिष्य के लक्षण बताते हुए कहा है किः अमानमत्सरो दक्षो निर्ममो दृढ़सौहृदः। असत्वरोઽर्थजिज्ञासुः अनसूयुः अमोघवाक्।। ʹसत्शिष्य मान और मत्सर से रहित, अपने कार्य में दक्ष, ममतारहित, गुरु में दृढ़ प्रीति करने वाला, निश्चल चित्त वाला, परमार्थ का जिज्ञासु और ईर्ष्यारहित एवं सत्यवादी होता है।ʹ इस प्रकार के नवगुणों से जो …

Read More ..

श्रीकृष्ण की गुरुसेवा


पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू गुरु की महिमा अमाप है, अपार है। भगवान स्वयं भी लोककल्याणार्थ जब मानवरूप में अवतरित होते हैं तो गुरुद्वार पर जाते हैं। राम कृष्ण से कौन बड़ा, तिन्ह ने भी गुरु कीन्ह। तीन लोक के हैं धनी, गुरु आगे आधीन।। द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए एवं कंस …

Read More ..