086 ऋषि प्रसादः फरवरी 2000

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ज्ञान की सात भूमिकाएँ


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से दो प्रकार के संस्कारी मनुष्य होते हैं- धार्मिक और जिज्ञासु। यह बात उन मनुष्यों की नहीं है जो केवल खाने पीने और संतति को जन्म देने में ही अपना जीवन पूरा कर देते हैं। ऐसे लोगों को तो मनुष्य रूप में पशु ही कहा गया है। मनुष्यरूपेण मृगाश्चरंति। …

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संतकृपा से चित्रकेतु का मोहभंग


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से सदगुरु मेरा शूरमा, करे शब्द की चोट। मारे गोला प्रेम का, हरे भरम की कोट।। ʹमैं शरीर हूँ… यह मेरा नाम है… यह मेरी नात-जात है…. यह मेरी पत्नी है… यह मेरा पुत्र-परिवार है…. यह मेरा कर्त्तव्य है….ʹ ये सब भरम हमारे अंदर घुस गये हैं। ʹहम जी …

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शिवजी का अनोखा वेशः देता है दिव्य संदेश


महाशिवरात्रि दिनांक 4 मार्च 2000 संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से यस्यांकि य विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके। भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्। सोઽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा। शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्रीशंकरः पातु माम्।। ʹजिनकी गोद में हिमाचलसुता पार्वतीजी, मस्तक पर गंगाजी, ललाट पर द्वितीया का चंद्रमा, कंठ में हलाहल विष और वक्षःस्थल …

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