088 ऋषि प्रसादः अप्रैल 2000

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

स्वधर्मे निधनं श्रेयः


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म के प्रति श्रद्धा एवं आदर होना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा हैः श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुतिष्ठात्। स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।। ʹअच्छी प्रकार आचरण किये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है। अपने धर्म में मरना भी कल्याणकारक …

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सब दुःखों से सदा के लिए मुक्ति


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से असंभव को संभव करने की बेवकूफी छोड़ देना चाहिए और जो संभव है उसको करने में लग जाना चाहिए। शरीर एवं संसार की वस्तुओं को सदा सँभाले रखना असंभव है अतः उसमें से प्रीति हटा लो। मित्रों को, कुटुम्बियों को, गहने-गाँठों को साथ ले जाना असंभव है अतः …

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लक्ष्य सबका एक है….


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से जन्म का कारण है अज्ञान, वासना। संसार में सुख तो मिलता है क्षण भर का, लेकिन भविष्य अंधकारमय हो जाता है। जबकि भगवान के रास्ते चलने में शुरुआत में कष्ट तो होता है, सयंम रखना पड़ता है, सादगी में रहना पड़ता है, ध्यान-भजन में चित्त लगाना पड़ता है, …

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