ʹगहना कर्मणो गतिःʹ
संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से कर्म की गति बड़ी गहन है। गहना कर्मणो गतिः। कर्म का तत्त्व भी जानना चाहिए, अकर्म का तत्त्व भी जानना चाहिए। कर्म ऐसे करें कि कर्म दुष्कर्म न बनें, बंधनकारक न बनें, वरन् ऐसे कर्म करें कि कर्म विकर्म में बदल जायें, कर्त्ता अकर्त्ता हो जाये और वह …