099 ऋषि प्रसादः मार्च 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सुख-दुःख में स्वस्थ रहें…


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से श्रीमद् भगवदगीता में आता हैः समदुःखसुखः स्वस्थः समलोष्टाश्मकाञ्चनः। तुल्यप्रियाप्रियो धीरस्तुल्यनिन्दात्मसंस्तुतिः।। ʹजो निरन्तर आत्म भाव में स्थित, दुःख-सुख को समान समझने वाला, मिट्टी, पत्थर और स्वर्ण में समान भाववाला, ज्ञानी, प्रिय तथा अप्रिय को एक-सा मानने वाला और अपनी निन्दा स्तुति में समान भाववाला है (ऐसा पुरुष गुणातीत …

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सदगुरु महिमा


मैं उन गुरुदेव को नमस्कार करता हूँ जो संसाररूप हाथी के लिए सिंह के समान हैं, जो संसार में तथा एकांत में समदृष्टि से सदा-सर्वदा पूर्ण बने रहने वाले हैं, जिनकी कृपा से साधकों को देह में रहते हुए भी देह दिखाई नहीं पड़ती तथा संसाररूप अन्धड़ देखते-देखते समाप्त हो जाता है, जिनके कृपाकटाक्ष से …

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परम मंगल किसमें है ?


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु….हमारा संकल्प शिव संकल्प हो अर्थात् मंगलकारी संकल्प हो। मंगलकारी संकल्प क्या है ? परम मंगलकारी परमात्मा को पाना। मनुष्य को विचार करना चाहिए किः ʹमेरे ऐसे दिन कब आयेंगे जब मैं संसार को मिथ्या समझकर अपने शाश्वत् तत्त्व आत्मा में आराम पाऊँगा… हर्ष और …

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