100 ऋषि प्रसादः अप्रैल 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ज्ञानी का पूजन


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से दो प्रकार के मनुष्य होते हैं- आस्तिक और नास्तिक आस्तिक एक की शरण लेता है जबकि  नास्तिक को हजारों की शरण लेनी पड़ती है। नास्तिक हजार-हजार जगह खुशामद करता है, फिर भी उसका बेड़ा गर्क हो जाता है जबकि आस्तिक केवल एक भगवान की शरण लेता है और …

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चारित्रिक क्रान्ति के उन्नायक पूज्य बापू


भारत की इस पावन धरा तथा ऋषियों के वंशजों पर भगवान की विशेष कृपा रही है। जब कभी भी इस भारत भूमि पर मानवजाति को किसी दुर्गुण ने ग्रसित किया, उसको पतनोन्मुख बनाने की कुचेष्टा की तब-तब यहाँ भगवान एवं भगवद् प्राप्त महापुरुषों का अवतरण होता रहा है। विश्व के किसी भी दूसरे देश में …

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आत्मसंयम


जिसने जीभ को नहीं जीता वह विषय वासना को नहीं जीत सकता। मन में सदा यह भाव रखें कि हम केवल शरीर के पोषण के लिए ही खाते हैं, स्वाद के लिए नहीं। जैसे पानी प्यास बुझाने के लिए पीते हैं वैसे ही अन्न केवल भूख मिटाने के लिए ही खाना चाहिए। हमारे माँ बाप …

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