113 ऋषि प्रसादः मई 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

पंचसकारी साधना


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से आप संसारी वस्तुएँ पाने की इच्छा करें तो इच्छामात्र से संसार की चीजें आपको नहीं मिल सकतीं। उनकी प्राप्ति के लिए आपका प्रारब्ध और पुरुषार्थ चाहिए। किन्तु आप ईश्वर को पाना चाहते हैं तो केवल ईश्वर को पाने की तीव्र इच्छा रखें। इससे अंतर्यामी ईश्वर आपके भाव …

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आत्म-साक्षात्कार का अधिकारी कौन ?


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ के 18वें अध्याय के 53वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्। विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूताय कल्पते।। ‘अहंकार, बल, घमण्ड, काम, क्रोध और परिग्रह का त्याग करके निरंतर ध्यानयोग के परायण रहने वाला, ममतारहित और शांतियुक्त पुरुष सच्चिदानन्दघन ब्रह्म में …

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अद्वैत ज्ञान की महिमा


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से दुःख क्यों होता है ? मानव की प्रज्ञा पूर्ण विकसित नहीं है तथा उसे आत्मज्ञान में रुचि नहीं है इसीलिए दुःख होता है। यदि आत्मज्ञान में रुचि हो तो दुःख टिक नहीं सकता और अगर ज्ञान में रुचि न हो तो सुख टिक नहीं सकता। जिसको अज्ञान …

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