197 ऋषि प्रसादः मई 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

अब तुम भी थोड़ा पुरुषार्थ करो


पूज्य बापू जी के सत्संग प्रवचन से कई लोग फरियाद करते हैं कि ध्यान नहीं लगता । क्यों नहीं लगता ? क्योंकि हम संसार में रहकर, संसार के होकर भगवान का ध्यान करना चाहते हैं । हकीकत में हम भगवान के होकर और भगवान में ही बैठकर भगवान का ध्यान करें तो भगवान का ध्यान …

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भक्ति व्यर्थ नहीं जाती


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से व्यक्ति अगर दुष्ट विषय-विकारों के पीछे अगर जाता है तो दुरात्मा हो जाता है । सामान्य जीवन जीता है – थोड़ा संयम, थोड़ी फिसलाहट तो सामान्य आत्मा होता है लेकिन महान परमात्मा में विश्रांति पाकर भगवत्प्रीति, भगवद् ज्ञान से भर जाता है, निष्काम कर्म करता है तो वह महान …

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वर्तमान में टिको – पूज्य बापू जी


जिसका आनन्द, जिसका सुख बाहर है, कुछ खाकर, कुछ देखकर, कुछ भोगकर सुखी होने की जिसके जीवन में गलती घुसी है वह भले ही दर-बदर, लोक-लोकांतर में, कभी स्वर्ग में तो कभी बिहिश्त में, कभी पाताल में तो कभी रसातल में तो कभी तलातल में, कभी इन्द्रियों के दिखावटी सुख में तो कभी मन के …

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