209 ऋषि प्रसादः मई 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सात्विक श्रद्धा की ओर


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) सत्तवानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत। श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः।। ‘हे भारत ! सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके अंतःकरण के अनुरूप होती है। यह पुरुष श्रद्धामय है, इसलिए जो पुरुष जैसे श्रद्धावाला है, वह स्वयं भी वही है।’ (भगवदगीताः 17.3) भगवान श्रीकृष्ण की जगत-उद्धारिणी वाणी भगवदगीता विश्ववंदनीय …

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संत सेवा का फल


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) तैलंग स्वामी बड़े उच्चकोटि के संत थे। वे 260 साल तक धरती पर रहे। रामकृष्ण परमहंस ने उनके काशी में दर्शन किये तो बोलेः “साक्षात् विश्वनाथ जी इनके शरीर में निवास करते हैं।” उन्होंने तैलंग स्वामी को ‘काशी के सचल विश्वनाथ’ नाम से प्रचारित किया। तैलंग स्वामी का जन्म …

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अमृत प्रजापति हुआ बेनकाब, अपने ही मुँह से उगले राज


कुप्रचारकों, निंदकों की खुल गयी पोल शातिर दिमाग के कुछ स्वार्थी, उपद्रवी लोगों ने मीडिया में आश्रम के बारे में झूठी अफवाहें, बेसिर पैर की बातें, अनर्गल आरोप लगा के आश्रम को बदनाम व समाज को गुमराह करने में एड़ी-चोटी एक कर दी। नदी में दो बच्चों की आकस्मिक मृत्यु के संदर्भ में जुलाई 2008 …

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