209 ऋषि प्रसादः मई 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

बच्चों को क्या दें ?


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) हमारे भारत के बच्चे-बच्चियों के साथ बड़ा अन्याय हो रहा है। अश्लील चलचित्रों, उपन्यास द्वारा उनके साथ बड़ा अन्याय किया जा रहा है। फिर भी हमारे बच्चे-बच्चियाँ अन्य देशों के युवक-युवतियों की अपेक्षा बहुत अच्छे हैं, परिश्रमी हैं, कष्ट सहते हैं, देश विदेश में जाकर बेचारे रोजी-रोटी कमा लेते …

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विकारों से बचने हेतु


संकल्प-साधना (भगवत्पाद स्वामी श्री श्री लीलाशाहजी महाराज) विषय विकार साँप से विष से भी अधिक भयानक हैं, इन्हें छोटा नहीं समझना चाहिए। सैंकड़ों लिटर दूध में विष की एक बूँद डालोगे तो परिणाम क्या मिलेगा ? पूरा सैंकड़ों लिटर दूध व्यर्थ हो जायेगा। साँप तो काटेगा तभी विष चढ़ पायेगा किंतु विषय-विकार का केवल चिंतन …

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विद्या क्या है ? – पूज्य बापू जी


  विद्या ददाति विनयम्। विद्या से विनय प्राप्त होता है। यदि विद्या पाकर भी अहंकार बना रहा तो ऐसी विद्या किस काम की ! ऐसी विद्या न तो स्वयं का कल्याण करती है न औरों के ही काम आती है। एक समय जयपुर में राजा माधवसिंह का राज्य था। राज्य-सिंहासन पर बैठने से पूर्व माधवसिंह …

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