213 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वीर्यरक्षण ही जीवन है


वीर्य इस शरीररूपी नगर का एक तरह से राजा ही है। यह राजा यदि पुष्ट है, बलवान है तो रोगरूपी शत्रु कभी शरीररूपी नगर पर आक्रमण नहीं करते। जिसका वीर्यरूपी राजा निर्बल है, उस शरीररूपी नगर को कई रोगरूपी शत्रु आकर घेर लेते हैं। इसीलिए कहा गया हैः मरणं बिन्दुपातेन जीवनं बिन्दुधारणात्। ‘बिन्दुनाश (वीर्यनाश) ही …

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तुलसी व तुलसी-माला की महिमा


तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है। यह गर्म और त्रिदोषशामक है। रक्तविकार, ज्वर, वायु, खाँसी एवं कृमि निवारक है तथा हृदय के लिए हितकारी है। सफेद तुलसी के सेवन से त्वचा, मांस और हड्डियों के रोग दूर होते हैं। काली तुलसी के सेवन से सफेद दाग दूर होते हैं। तुलसी की जड़ और पत्ते ज्वर में …

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सर्वश्रेष्ठ दान


धर्म के चार चरण होते हैं- सत्य, तप, यज्ञ और दान। सत्ययुग गया तो सत्य गया, त्रेता गया तो तप गया, द्वापर गया तो यज्ञ गया, दानं केवल कलियुगे। कलियुग में धर्म का दानरूपी एक ही चरण रह गया। ‘भविष्य पुराण’ (151.18श्र में लिखा है कि दानों में तीन दान अत्यन्त श्रेष्ठ हैं – गोदान, …

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