215 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

महालक्ष्मी को कैसे बुलायें ?


लक्ष्मी चार प्रकार की होती है। एक होता है वित्त, दूसरा होता है धन, तीसरी होती है लक्ष्मी और चौथी होती है महालक्ष्मी जिस धन से भोग-विलास, आलस्य, दुराचार हो वह पापलक्ष्मी, अलक्ष्मी है। जिस धन से सुख-वैभव भोगा जाय वह वित्त है। जिस धन से सुख-वैभव भोगा जाय वह वित्त है। जिस धन से …

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जीवन में सत्त्व हो


(पूज्य बापू जी की पावन अमृतवाणी) श्रुत्वा सत्त्वं पुराणं सेवया सत्त्वं वस्तुनः। अनुकृत्या च साधूनां सदवृत्तिः प्रजायते।। ‘जीवन में पुराण आदि सात्त्विक शास्त्रों के श्रवण से, सात्त्विक वस्तु के सेवन से और साधु पुरुषों के अनुसार वर्तन करने से सात्त्विक वृत्ति उत्पन्न होती है।’ आदमी में तामसी और राजसी वृत्ति जब जोर पकड़ती है तो …

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जीवन का दृष्टिकोण उन्नत बनाती है ‘गीता’


(श्रीमदभगवदगीता जयंतीः 17 दिसम्बर 2010) (पूज्य बापू जी की सारगर्भित अमृतवाणी) ‘यह मेरा हृदय है’ – ऐसा अगर किसी ग्रंथ के लिए भगवान ने कहा तो वह गीता का ग्रंथ है। गीता में हृदयं पार्थ। ‘गीता मेरा हृदय है।’ अन्य किसी ग्रंथ के लिए भगवान ने यह नहीं कहा है कि ‘यह मेरा हृदय है।’ …

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