216 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

शीत ऋतु में लाभदायीः जीर्ण व्याधिनिवारक प्रयोग


कुछ रोग ऐसे होते हैं जो शरीर में दीर्घकाल तक रहकर शरीर को दुर्बल व क्षीण कर देते हैं। सर्दियों में त्रिदोष स्वाभाविकक रूप से सम अवस्था में आने लगते हैं। जठराग्नि भी प्रदीप्त होती है। इस समय युक्तिपूर्वक की गयी औषधि योजना जीर्ण व्याधि तथा तदजन्य दुर्बलता को नष्ट करने में सक्षम होती है। …

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संयम की महिमा


आधुनिक मनोविज्ञान  मानसिक विशलेषण, मनोरोग शास्त्र और मानसिक रोग की चिकित्सा – ये फ्रायड के रूग्ण मन के प्रतिबिम्ब हैं। फ्रायड स्वयं स्पास्टिक कोलोन (प्रायः सदा रहने वाला मानसिक अवसाद), स्नायविक रोग, सजातीय संबंध, विकृत स्वभाव, माइग्रेन, कब्ज, प्रवास, मृत्यु व धननाश का भय, साइनोसाइटिस, घृणा और खूनी विचारों के दौरे आदि रोगों से पीड़ित …

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ज्ञान के दस लक्षण


(पूज्य बापू जी की चिन्मय वाणी) अगर आत्मज्ञान की तरफ आपने थोड़ी भी यात्रा की तो जिनको आत्मसाक्षात्कार हुआ है, उन ज्ञानियों के गुण आपके अंदर प्रकट होने लगेंगे। फिर आपको यह नहीं लगेगा कि ‘गुण मुझमें हैं, मैं गुणवान हूँ अथवा मैं ज्ञानी हूँ।’ नहीं-नहीं, जिस पद को पाये बिना इन्द्र भी अपने को …

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