218 ऋषि प्रसादः फरवरी 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

मन एक कल्पवृक्ष


(पूज्य बापू जी की पावन अमृतवाणी) कोई सुप्रसिद्ध वैद्यराज थे। रात्रि को किसी बूढ़े आदमी की तबीयत गम्भीर होने पर उन्हें बुलाया गया। वैद्यराज ने देखा कि ‘बूढ़ा है, पका हुआ पत्ता है, पुराना अस्थमा है, फेफड़े इन्कार कर चुके हैं, रक्तवाहिनियाँ भी चोड़ी हो गयी है, पुर्जे सब पूरे घिस गये हैं अब बूढ़े …

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कौन है तुम्हारा जीवन सारथी ?


(पूज्य बापू जी) तीन मित्र थे। उन्होंने शर्त रखी कि देखें, अधिक समय बदबू कौन सहन कर सकता है ? वे एक बूढ़ा बकरा, जिसके शरीर पर गंदगी, मैल लगी थी, ले आये और कमरे में रख दिया। एक मित्र कमरे के अंदर गया और पाँच मिनट में वापस आ गया कि ‘अपने से यह …

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आपके जीवन में शिव ही शिव हो


(पूज्य बापू जी कल्याणमयी मधुमय वाणी) चार महारात्रियाँ हैं – जन्माष्टमी, होली, दिवाली और शिवरात्रि। शिवरात्रि को अहोरात्रि भी बोलते हैं। इस दिन ग्रह नक्षत्रों आदि का ऐसा मेल होता है कि हमारा मन नीचे के केन्द्रों से ऊपर आये। देखना, सुनना, चखना, सूँघना व स्पर्श करना – इस विकारी जीवन में तो जीव-जंतु भी …

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