222 ऋषि प्रसादः जून 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गुरुवचन करते हैं रक्षण-पूज्य बापू जी


‘राजवैभव में, घर-बार में काम, क्रोध, लोभ वासनाओं की बहुलता होती है और ईश्वर को पाना ही मनुष्य जीवन का सार है।’ – ऐसा सोचकर रघु राजा अपने पुत्र अज को राज्यवैभव देकर ब्रह्म-परमात्मा की प्राप्ति के लिए एकांत जंगल में चले गये। एक दिन जब रघु राजा तप कर रहे थे तो एक विप्र …

Read More ..

मंत्रदीक्षा क्यों ?


भगवान श्रीकृष्ण ने ‘श्रीमद् भगवद् गीता’ में कहा हैः यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि। ‘यज्ञों में जपयज्ञ मैं हूँ।’ भगवान श्री राम कहते हैं- मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा। पंचम भजन सो वेद प्रकासा।। (श्रीरामचरितमानस) मेरे मंत्र का जप और मुझमें दृढ़ विश्वास – यह पाँचवीं भक्ति है। इस प्रकार विभिन्न शास्त्रों में मंत्रजप की अद्भुत महिमा बतायी …

Read More ..

ॐकार की 19 शक्तियाँ


सारे शास्त्र-स्मृतियों का मूल है वेद। वेदों का मूल है गायत्री और गायत्री का मूल है ॐकार। ॐकार से गायत्री, गायत्री से वैदिक ज्ञान और उससे शास्त्र और सामाजिक प्रवृत्तियों की खोज हुई। पतंजलि महाराज ने कहा हैः तस्य वाचकः प्रणवः। ‘परमात्मा का वाचक ॐकार है।’ (पातंजल योगदर्शन, समाधिपादः 27) सब मंत्रों में ॐ राजा …

Read More ..