229 ऋषि प्रसादः जनवरी 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सर्वसमर्थ आत्मदेव


पूज्य बापू जी (संत रविदास जयंतीः 7 फरवरी) मंदिरों में, पूजा-पाठ में, इधर-उधर जा-जाकर आखिर उस प्रेमस्वभाव अपने अंतरात्मा में आये, हृदय ही प्रेम से भरपूर मंदिर बन जाय तो समझो हो गयी भक्ति, हो गया ज्ञान, हो गया ध्यान ! ऐसी भक्ति जिनके जीवन में हो, वे चाहे किसी भी उम्र के हों, किसी …

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माता-पिता व सदगुरु की महत्ता


(मातृ-पितृ पूजन दिवसः 14 फरवरी) धर्मराज युधिष्ठिर ने भीष्मजी से पूछाः ʹʹपितामह ! धर्म का रास्ता बहुत बड़ा है और उसकी अनेक शाखाएँ हैं। उनमें से किस धर्म को आप सबसे प्रधान एवं विशेष रूप से आचरण में लाने योग्य समझते हैं, जिसका अनुष्ठान करके मैं इस लोक व परलोक में भी धर्म का फल …

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देवत्व जागरण की चाह


(नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयंतीः 23 जनवरी) कटक नगर में एक बालकर शिबू अक्सर अपनी माँ प्रभावती के साथ मंदिरों में देव-दर्शन के लिए जाता था। एक दिन वे शिवरात्रि को दर्शन करने गये। खूब सर्दी पड़ रही थी। मंदिर में भगवान आशुतोष की भव्य मूर्ति देखकर शिबू ने माँ से पूछाः “अम्मा ! क्या भगवान …

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