गुरुसेवा से मिलता परम अमृत
(संत एकनाथ षष्ठीः 13 मार्च 2012) एकनाथ जी गुरुसेवा से अपने को धन्यभाग समझते थे। जो भक्त नहीं है उन्हें सेवा में बड़ा कष्ट मालूम हो सकता है, पर एकनाथ जैसे गुरुभक्त के लिए वही सेवा परमामृतदायिनी होने से उसी को उन्होंने अपना महद् भाग्य समझा। उन्होंने स्वयं स्वलिखित ʹभागवतʹ में गुरु और गुरु भजन …