230 ऋषि प्रसादः फरवरी 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गुरुसेवा से मिलता परम अमृत


(संत एकनाथ षष्ठीः 13 मार्च 2012) एकनाथ जी गुरुसेवा से अपने को धन्यभाग समझते थे। जो भक्त नहीं है उन्हें सेवा में बड़ा कष्ट मालूम हो सकता है, पर एकनाथ जैसे गुरुभक्त के लिए वही सेवा परमामृतदायिनी होने से उसी को उन्होंने अपना महद् भाग्य समझा। उन्होंने स्वयं स्वलिखित ʹभागवतʹ में गुरु और गुरु भजन …

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चैतन्य महाप्रभु का भगवत्प्रेम


(पूज्य बापू जी की पावन अमृतवाणी) (श्री चैतन्य महाप्रभु जयन्तीः 8 मार्च) साधुनां दर्शनं पातकनाशनम्। संत के दर्शन से पाप नष्ट होते हैं। भगवान की जब कृपा होती है, अंतरात्मा भगवान जब प्रसन्न होते हैं तब साधु-संगति की रुचि होती है। जब द्रवै दीनदयालु राघव, साधु-संगति पाइये। (विनयपत्रिकाः 136.10) ऐतिहासिक घटित घटना हैः जगन्ननाथ मंदिर …

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भारतीय संस्कृति की महानता


(पूज्य बापू जी के सत्संग से) मैं तो सत्संग करने वाले की अपेक्षा सत्संग सुनने वाले को ज्यादा फायदे में मानता हूँ। यदि सत्संग चार दिन का है तो सत्संग सुनने वाला चाहे दो दिन आये, तीन दिन आये उसकी मौज ! पर सत्संग करने वाले को तो चारों दिन समय से आना है। एक-एक …

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