232 ऋषि प्रसादः अप्रैल 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

स्रष्टा की विश्वलीला में सहायकः देवर्षि नारदजी


(देवर्षि नारदजी जयंतीः 6 मई) कलहप्रिय के रूप में देवर्षि नारदजी की अपकीर्ति है। विरोध बढ़ाकर या किसी के लिए असुविधा की सृष्टि कर वे आनंद का उपभोग करते हैं, इस रूप में कथाएँ पुराणादि में पायी जाती है। उनके नाम का एक व्युत्पत्तिगत अर्थ हैः नारं नरसमूहं कलहेन द्यति खण्डयति इति नारदः। कलह सृष्टि …

Read More ..

सत्साहित्य जीवन का आधार है


जैसा साहित्य हम पढ़ते हैं, वैसे ही विचार मन के भीतर चलते रहते हैं और उन्हीं से हमारा सारा व्यवहार प्रभावित होता है। जो लोग कुत्सित, विकारी और कामोत्तेजक साहित्य पढ़ते हैं, वे कभी ऊपर नहीं उठ सकते। उनका मन सदैव काम विषय के चिंतन में ही उलझा रहता है और इससे वे अपनी वीर्यरक्षा …

Read More ..

परम उन्नतिकारक श्रीकृष्ण-उद्धव प्रश्नोत्तरी


(पूज्य बापू जी की ज्ञानमय अमृतवाणी) ʹभागवतʹ के 11वे स्कन्ध में उद्धव ने बड़े ऊँचे प्रश्न पूछे हैं और भगवान श्रीकृष्ण ने खूब उन्नति करने वाले परम ऊँचे व सार-सार उत्तर दिये हैं। उद्धव जी ने कहाः “हे मधुसूदन ! आपकी मधुमय वाणी सुनने से मेरी शंकाएँ निवृत्त होती हैं। आप सूझबूझ के धनी हैं। …

Read More ..