महिमावंत दृष्टि – पूज्य बापू जी
ऋषि कहते हैं- ʹगुरुर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः। जो ब्रह्मा की नाईं हमारे हृदय में उच्च संस्कार भरते हैं, विष्णु की नाईं उनका पोषण करते हैं और शिवजी की नाईं हमारे कुसंस्कारों एवं जीवभाव का नाश करते हैं, वे हमारे गुरु हैं।ʹ फिर भी ऋषियों को पूर्ण संतोष नहीं हुआ, अतः उन्होंने आगे कहाः ʹगुरुर्साक्षात् परब्रह्म …